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बेंगलुरु में विपक्षी दलों की महाबैठक, 26 दलों के नेताओं का जुटान.

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सिटी पोस्ट लिए : सोमवार से   बेंगलूरु में विपक्षी दलों के नेताओं का जुटान हो चूका है.आज विपक्षी एकता की दूसरी बैठक हो रही है. बैठक में शामिल होने बेंगलुरु पहुंचे नेताओं के लिए सोमवार शाम डिनर का आयोजन किया गया. इस डिनर कार्यक्रम में कांग्रेस, जेडीयू, आरजेडी, सपा, आप, आरएलडी, झामुमो समेत कुल 26 पार्टियों के शीर्ष नेताओं ने हिस्सा लिया.मिशन-2023 के लिए कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख एवं झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता एवं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और कई अन्य नेता इस बैठक में शामिल हैं.

 बेंगलुरु में आयोजित इस दो दिवसीय बैठक में विपक्षी शीर्ष नेतृत्व आगामी लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजय रथ को रोकने के की रणनीति पर चर्चा करेंगे। साथ ही, लोकसभा चुनावों के लिए सीटों के बंटवारे पर भी चर्चा किए जाने संभावना जताई जा रही है.सीटों के बंटवारे के दौरान सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस के सामने पैदा होने की संभावना जताई जा रही है. विपक्षी दलों के भारी-भरकम संख्यबल को देखते हुए ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार कांग्रेस को सीटों की संख्या के साथ समझौता करना पड़ सकता है.

यह विपक्षी एकता भी तभी मजबूती के साथ प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाले एनडीए का मुकाबला कर सकती है, जब कांग्रेस सीटों को लेकर थोड़ा नरमी बरती है. कांग्रेस को उत्तर प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु जैसे उन राज्यों में कम सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है, जहां वह अस्ततित्व की लड़ाई लड़ रही है.विश्लेषकों की मानें तो, सीटों के बंटवारे को लेकर अगर विपक्षी दलों में कोई रार नहीं होती है, तो 2024 के लोकसभा चुनावों में मोदी की लोकप्रियता के मुकाबले चमत्कार दिखा सकती है.

विपक्षी दलों इस महागठबंधन के नेतृत्व को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं. सबसे पुरानी और बड़ी पार्टी कांग्रेस नेतृत्व के लिए सबसे प्रमुख दावेदार है.विपक्षी एकता के इन दलों में कई ऐसे नेता हैं जो खुद को प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदार पेश कर रहे हैं. नीतीश के प्रयासों ने ही विपक्षी एकता की इस अवधारणा को जन्म दिया है. ममता बनर्जी भी प्रधानमंत्री पद की दावेदारी में पीछे नहीं हैं.बिहार में इस बात की बयार कई बार उठ चुकी है बिहार तेजस्वी संभालेंगे और देश नीतीश कुमार. ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री मोदी के सामने एक दावेदार खड़ा करना आसान नहीं होगा.

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