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बिहार में NDA-INDIA के बीच सीधी लड़ाई .

तीसरा कोण बनाने की कोशिश है जारी, क्या कहते हैं लोक सभा चुनाव के समीकरण, जानिये .

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सिटी पोस्ट लाइव : महागठबंधन में सीट बंटवारे के बाद  बिहार में लोकसभा चुनाव की तस्वीर साफ हो गई है. 2019 के चुनाव की तरह इसबार भी NDA  और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबले की संभावना है.NDA  के सामने अपनी सभी पुरानी 39 सीटें बचाने की चुनौती है . महागठबंधन को साबित करना है कि सीट बंटवारे में RJD सुप्रीमो  लालू प्रसाद का निर्णय सही था, क्योंकि लालू पर मनलायक सीटें न देने का आरोप कांग्रेस का है तो RJD  के कई बड़े नेताओं का कहना है कि उन्होंने टिकट बंटवारे में दमदार उम्मीदवारों को निराश किया है.

वाम दल बमबम हैं.उन्हें पांच सीटें मिली हैं.सबसे ख़ास बात वैसी सीटें मिली हैं  जिनपर कभी RJD  की जीत हुई थी और पिछले चुनाव में  उसका उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहा था.फिलहाल महागठबंधन के विभिन्न दलों के बीच एकजुटता का संदेश देने का प्रयास किया गया है. लोकसभा चुनाव 2019 की तुलना में बदलाव भी हुआ है. तीसरा कोण बनाने का प्रयास इस बार अधिक गंभीर है. सीमांचल के मुस्लिम बहुल इलाके में सक्रिय एआईएमआईएम इस बार 15 प्रत्याशी उतारने जा रहा है. बहुजन समाज पार्टी ने भी सभी 40 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर दी है.

 

शाहाबाद के बक्सर और सासाराम में बसपा का थोड़ा प्रभाव है. लेकिन, अब तक उसे किसी सीट पर सफलता नहीं मिल पाई है. बसपा को कुछ ऐसे पूर्व सांसद उम्मीदवार के रूप में उपलब्ध हो सकते हैं, जिन्हें बेटिकट कर दिया गया है.पिछली बार एआईएमआईएम एकमात्र किशनगंज में तीसरा कोण बना पाई थी. इस बार उसने क्षेत्र का विस्तार किया है. 15 सीटों पर प्रत्याशी उतारने जा रही है. ऐसे में एक से अधिक क्षेत्रों में तीसरा कोण बना सकती है.

 

पार्टी ने सीमांचल की चार लोकसभा सीटों- किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार और अररिया के अलावा दरभंगा, भागलपुर, काराकाट, बक्सर, गया, मुजफ्फरपुर, उजियारपुर, पाटलिपुत्र, समस्तीपुर, सीतमाढ़ी और वाल्मीकिनगर से भी चुनाव लड़ने की घोषणा की है. इनमें से किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, सीतमढ़ी और वाल्मीकिनगर से राजग की तरफ से जदयू के उम्मीदवार हैं.काराकाट से रालोमो के उपेंद्र कुशवाहा और गया से हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के जीतनराम मांझी चुनाव लड़ रहे हैं. बाकी सीटें भाजपा के पास हैं. तीसरा कोण बनाने में एआइएमआइएम को तभी सफलता मिल सकती है, जब राजद के मुस्लिम-यादव समीकरण में तकरार हो. ऐसा नहीं होने पर सभी क्षेत्रों में सीधा मुकाबला होगा.

 

जाति आधारित गणना के बाद से माय समीकरण के मुस्लिम वाले हिस्से में यह मांग जोर पकड़ने लगी है कि उन्हें भी जनसंख्या के अनुपात में भागीदारी मिले. उनकी जनसंख्या 17 प्रतिशत से अधिक है. एआइएमआइएम भी इस मांग पर जोर दे रहा है. महागठबंधन कह रहा कि धर्मनिरपेक्ष वोटों का बिखराव हुआ तो NDA को लाभ हो जाएगा.तीसरा कोण इसी पर निर्भर करता है कि अल्पसंख्यक मतदाता महागठबंधन और एमआइएम में किसकी व्याख्या पर भरोसा करता है. क्योंकि महागठबंधन लगातार एमआइएम को भाजपा की बी टीम बता रहा है.

 

पिछले चुनाव में किशनगंज और बेगूसराय को छोड़कर कहीं प्रभावकारी तीसरा कोण नहीं बन पाया था. किशनगंज में कांग्रेस, JDU और एआइएमआइएम के बीच तथा बेगूसराय में भाजपा, भाकपा और राजद के बीच वोटों का विभाजन हुआ था. अन्य सभी क्षेत्रों में तीसरा कोण बनाने का प्रयास 50 हजार से एक लाख वोटों के बीच सिमट गया.वाल्मीकिनगर में जदयू की जीत हुई. कांग्रेस को दूसरा और बसपा को तीसरा स्थान मिला था.

 

 मधेपुरा में जन अधिकार पार्टी के संस्थापक राजेश रंजन ऊर्फ पप्पू यादव को 97 हजार से कुछ अधिक वोट मिला. लेकिन, जीतने वाले उम्मीदवार को छह लाख 24 हजार वोट आया था. सिवान में जदयू, राजद और भाकपा माले के बीच त्रिकोणीय संघर्ष जरूर हुआ, लेकिन माले को एक लाख से कम वोट मिला.इसबार पप्पू यादव कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं लेकिन उन्हें मनचाही सीट पूर्णिया नहीं मिल पाई है.ऐसे में उनके निर्दल मैदान में उतरने की संभावना बढ़ गई है.

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