सिटी पोस्ट लाइव : JDU) और (BJP) के बीच नेम प्लेट को लेकर विवाद खड़ा हो गया है.बीजेपी जहां दुकानों पर नेम प्लेट लगाने के पक्ष में है, वहीं जेडीयू इसे अनावश्यक नेम प्लेट लगाने के पक्ष में नहीं है. बीजेपी का कहना है कि नेम प्लेट से पारदर्शिता आएगी और लोग अपनी आस्था के अनुसार दुकानों पर जा सकेंगे लेकिन जेडीयू का तर्क है कि खाने-पीने की चीजों की गुणवत्ता की जांच होनी चाहिए, न कि दुकानों के नाम प्लेट बदलने से कोई बदलाव आएगा.दरअसल, जेडीयू अपनी सेक्युलर छवि को बरकरार रखना चाहती है, इसलिए वह भाजपा के हिंदुत्व के एजेंडे से दूरी बनाए रखती है.
जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि नेम प्लेट लगाने से कुछ नहीं होगा. तेल और मसालों में कितनी मिलावट है, इसकी जांच होनी चाहिए. सामग्री का पूरा विवरण दुकान के आगे चस्पा होना चाहिए. नीरज कुमार ने कहा कि राजनीतिक स्वास्थ्य के लिए नेम प्लेट की मांग ठीक है, लेकिन मानवीय स्वास्थ्य के लिए खाने-पीने की चीजों की गुणवत्ता की जांच जरूरी है. लेकिन बीजेपी प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा कि उत्तर प्रदेश की तरह बिहार समेत पूरे देश में खाने-पीने की दुकानों पर नेम प्लेट लगाना अनिवार्य होना चाहिए. उन्होंने कहा कि पहचान छुपाने की जरूरत उसी को पड़ती है जो गलत काम करता है. नेम प्लेट लगने से लोग अपनी आस्था के अनुसार दुकानों पर जा सकेंगे.
उन्होंने कहा कि 50 साल से यही देख रहे हैं कि खिलाने वाला कोई और रहता है और बनाने वाला कोई और रहता है. राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर जदयू की चुप्पी पर अजय आलोक ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बधाई दी है.सीएम नीतीश कुमार ने अयोध्या से सीतामढ़ी तक राम-जानकी मार्ग के निर्माण का भी अनुरोध किया है.गौरतलब है कि बीजेपी के साथ रहते हुए भी नीतीश कुमार ने कभी अपने सेक्युलर क्रेडेंशियल के साथ समझौता नहीं किया. 2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने राजद के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और उसे मुस्लिम वोटों का फायदा मिला था.लेकिन लोकसभा चुनाव में जेडीयू को सीमांचल में हार का सामना करना पड़ा था, जहां मुस्लिम आबादी ज्यादा है.माना जा रहा है कि जदयू अपनी सेक्युलर छवि को मजबूत बनाए रखना चाहती है ताकि वह अगले विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटों को अपनी तरफ आकर्षित कर सके.