सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में जातीय जनगणना रिपोर्ट आने के बाद से जब से यह आंकड़ा सामने आया है की 36 प्रतिशत अत्यंत पिछड़ी जाति (ईबीसी) आबादी है, यह राजनीति का मुद्दा बनती जा रही है. हिस्सेदारी और भागीदारी के सवाल लगातार उठाए जा रहे हैं. विपक्ष तो सवाल उठा ही रहा है.अब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्मा ने भी इसी प्रकार की मांग करके नीतीश सरकार की टेंशन बढ़ा दी है. दरअसल, अनिल शर्मा ने नीतीश मंत्रिपरिषद में ईबीसी की भागीदारी का सवाल उठाया है.
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अनिल शर्मा ने ट्वीट कर लिखा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी, अभी बिहार मंत्रिमंडल में पिछड़े वर्ग के 13 जिसमें अकेले यादव जाति के 8 मंत्री हैं और जातीय गणना में सबसे ज्यादा 37% संख्या वाले अतिपिछड़े वर्ग के मात्र 3 ही मंत्री हैं. सामाजिक न्याय का तकाजा है कि मंत्रिमंडल का पुनर्गठन कर इस वर्ग की संख्या बढ़ाई जाए.
बिहार विधान सभा सीटों की संख्या के लिहाज से अधिकतम 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं. लेकिन, वर्तमान में मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम को मिलाकर कुल 31 सदस्य हैं. राजद के 14 विधायक, जदयू के 12 विधायक मंत्री हैं. कांग्रेस के दो, एक निर्दलीय सुमित कुमार सिंह हैं और वाम दलों से एक भी मंत्री नहीं है.जातिवार स्थिति देखें तो नीतीश कैबिनेट में आठ यादव, पांच मुस्लिम, छहअनुसूचित जाति, दो कुशवाहा, दो कुर्मी, दो राजपूत, एक भूमिहार, एक ब्राह्मण और वैश्य समाज से एक मंत्री है. अतिपिछड़ों की संख्या चार है. इसमें हिंदू अतिपिछड़ा से तीन और एक धुनिया पसमंदा मुस्लिम मंत्री है. दलित समुदाय से मंत्रिमंडल में छह में आरजेडी से दो, जेडीयू से तीन और कांग्रेस से एक दलित मंत्री शामिल है. पिछड़ा समाज से 31 में 12 मंत्री है.
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