सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट अगुवानी-सुल्तानगंज पुल के रविवार शाम गंगा नदी में समा जाने पर प्रतिक्रिया दी है. 1710 करोड़ की लागत से बन रहे इस पुल के गिरने के बाद नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा कि यह पुल पिछले साल भी टूटा था. मैंने अधिकारियों को कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. इसका निर्माण सही ढंग से नहीं हो रहा है, जिससे यह बार-बार गिर रहा है. विभाग इस पर गौर करेगा और कार्रवाई की जाएगी.
भागलपुर और खगड़िया जिले को जोड़ने वाला अगुवानी-सुल्तानगंज पुल बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना में से एक है. इस परियोजना की लागत का आरंभिक मूल्यांकन 1710.77 करोड़ किया गया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 23 फरवरी 2014 को परबत्ता के केएमडी कालेज मैदान में इसका शिलान्यास किया था.नौ मार्च 2015 को मुरारका कालेज सुल्तानगंज के मैदान से पुल निर्माण का कार्यारंभ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किया गया. इस पुल के निर्माण से उत्तर तथा दक्षिण बिहार के बीच का फासला काफी कम हो जायेगा. श्रावणी मेले में देवघर जाने वाले लाखों कांवरियों को इससे फायदा होगा. खगड़िया का सीधा संपर्क सिल्क सिटी भागलपुर से होगा.
शिलान्यास के समय विभागीय निर्देश मार्च 2020 तक इस महासेतु पर आवागमन शुरू करने का था, लेकिन 2019 की बाढ़ ने बाधा पहुंचाई और यह संभव नहीं हो सका. इसके उपरांत विभाग ने 2021 तक महासेतु पर आवागमन चालू करने का लक्ष्य रखा था. फिर कोरोना महामारी में लॉकडाउन में भी कार्य रुक गया.तब 2022 का लक्ष्य रखा गया था. फिर एक बाधा पाया नंबर पांच का सुपर स्ट्रक्चर गिरने से आया. 4 जून को पुल का तीन पाया और सेगमेंट गिरने के बाद अब कुछ भी कहना मुश्किल है.अगुवानी सुल्तानगंज महासेतु कई दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है. डाल्फिन वैधशाला, टाल प्लाजा, पुल प्रदर्शनी, पैसेंजर अंडर पास आदि इसकी खास विशेषता होगी. महासेतु की लंबाई करीब 3.160 किलोमीटर होगी. जबकि एप्रोच पथ की कुल लंबाई करीब 25 किलोमीटर है. अब रविवार की घटना के बाद कई चुनौती निर्माण कंपनी के सामने है.
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