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चिराग पासवान की जीद, बीजेपी की मुश्किल.

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सिटी पोस्ट लाइव : एक तरफ विपक्षी एकता की पुरजोर कोशिश में नीतीश कुमार जुटे हुए हैं वहीं बीजेपी एनडीए को नए सिरे से एकजुट करने में जुटी है.18 जुलाई को दिल्ली में अपने तमाम सहयोगी दलों के साथ बैठक करनेवाली है. उसको लेकर सभी दलों के साथ बातचीत का दौर जारी है.लेकिन बिहार में चिराग पासवान को लेकर पेंच फंसा हुआ है.चिराग पासवान ने पहली शर्त ये राखी है कि हाजीपुर लोक सभा सीट से वो खुद चुनाव लड़ेगें.दूसरी शर्त है कि लोक सभा और 20 25 में होनेवाले विधान सभा चुनाव की सीटें अभी फाइनल हो जानी चाहिए.

 

चिराग पासवान की पार्टी पिछले लोक सभा चुनाव में 6 सीटों पर चुनाव लड़ी थी.5 सीटों पर उसे कामयाबी मिली थी. एक सीट राज्य सभा की भी मिली थी.चिराग पासवान की पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी का कहना है कि उन्हें इसबार ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए क्योंकि इसबार बीजेपी के साथ नीतीश कुमार नहीं हैं.बीजेपी लोक सभा सीटों का बटवारा चिराग और पशुपति पारस के बीच करना चाहती है.लेकिन चिराग पासवान का कहना है कि पिछला चुनाव उनकी पार्टी लड़ी थी.पशुपति पारस का दल नहीं लड़ा था.इसलिए सभी सीटें उन्हें मिलनी चाहिए.चिराग पासवान पिछले लोक सभा की जिन सीटों पर चुनाव लादे थे, उसमे से कोई सीट छोड़ने को तैयार नहीं हैं जबकि बीजेपी उनमे से कुछ सीटों पर खुद लड़ना चाहती है.

 

बीजेपी की मुश्किल ये है कि पशुपति पारस को भी वो मझदार में नहीं छोड़ सकती और चिराग पासवान के बिना  पशुपति पारस के सहारे चुनाव लड़ना उसके लिए मुश्किल होगा.पासवान वोटर पूरी तरह से चिराग पासवान के साथ खड़ा नजर आ रहा है.पार्टी टूटने के बाद कड़ी मेहनत कर चिराग ने अपनी पार्टी को नए सिरे से खड़ा कर लिया है.उनके दोनों हाथ में लड्डू है.बीजेपी के साथ बात नहीं बनी तो लालू यादव उन्हें साथ लेने के लिए तैयार बैठे हैं.चिराग अगर महागठबंधन के साथ चले गये तो बीजेपी का पलड़ा बहुत हल्का हो जाएगा.

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