सिटी पोस्ट लाइव : शनिवार को बिहार दौरे पर आये केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी पर जमकर हमला किया और नीतीश कुमार के प्रति नरमी दिखाई.नीतीश कुमार को अमित सलाह देते नजर आये. पिछले कुछ महीने के अंदर अमित शाह का शनिवार को छठा बिहार दौरा था. पिछली हर सभाओं में वे नीतीश कुमार के बारे में कहते थे कि उनके लिए एनडीए के दरवाजे बंद हो चुके हैं.लेकिन इसबार उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा.नीतीश कुमार के एनडीए छोड़ने के बाद अमित शाह जब-जब बिहार आए, उन्होंने एक बात जरूर कही कि नीतीश कुमार के लिए एनडीए के दरवाजे सदैव के लिए बंद हो चुके हैं. वे आना भी चाहें तो एनडीए में उनके लिए जगह नहीं है.लेकिन G20 के आयोजन के बाद से स्थितियां बदली हुई दिख रही हैं.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने G20 के आयोजन के अवसर पर रात्रि भोज दिया था, जिसमें शामिल होने के लिए सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को राष्ट्रपति भवन से न्योता भेजा था. गैर भाजपा सरकार के कुछ मुख्यमंत्रियों ने भोज में शामिल होने से परहेज किया, लेकिन नीतीश कुमार शामिल हुए. अर्से बाद यह पहला मौका था, जब पीएम नरेंद्र मोदी से नीतीश का आमना-सामना हुआ. न सिर्फ दोनों मिले, बल्कि जिस अंदाज में तस्वीरें सामने आईं, उन्हें देख कर नीतीश के साथी-सहयोगियों के कान जरूर खड़े हो गए. पीएम मोदी और नीतीश कुमार कभी हंसते-मुस्कुराते साथ दिखे तो कभी अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन से सीएम नीतीश कुमार को पीएम नरेंद्र मोदी मिलाते नजर आए. उसके बाद से ही अटकलों का बाजार गर्म है. इसी बीच अमित शाह बिहार आए तो उनकी जुबान से नीतीश कुमार के बारे में कड़वे शब्द नहीं निकले.
अमित शाह ने कहा कि बिहार में चुनाव जल्द होंगे. बिहार की मौजूदा सरकार का कार्यकाल 2025 में खत्म हो रहा है और अभी 2024 में होने वाले लोकसभा की तैयारी चल रही है. ऐसे में बिहार के चुनाव की चर्चा छेड़ शाह ने नई अटकलों को जन्म दे दिया है. नीतीश कुमार भी कई मौकों पर कह चुके हैं कि बिहार में समय से पहले चुनाव हो सकते हैं. शाह और नीतीश के स्वर का मेल खाना महज संयोग माना जा सकता था, लेकिन संदेह इसलिए हो रहा है कि समय से पहले बिहार में चुनाव की बात पहली बार अमित शाह की जुबान से निकली है.
पीएम से मुलाक़ात के बाद से नीतीश के घर वापसी की चर्चा बिहार में हो रही है. हालांकि नीतीश ने शाह के भाषण के बाद अपनी प्रतिक्रिया से ऐसी किसी संभावना पर पानी फेर दिया. शाह ने कहा था कि नीतीश और लालू की पार्टी का गठबंधन तेल-पानी की तरह है, जिसका कभी मेल ही नहीं हो सकता. उल्टे पानी के गंदा होने के खतरे अधिक हैं. नीतीश की पार्टी जेडीयू को शाह ने पानी बताया तो महागठबंधन के दूसरे दलों को तेल की संज्ञा दी. नीतीश ने शाह के बारे में कहा कि उन्हें बिहार या देश के बारे में कुछ भी पता नहीं है. वे ऐसे ही अंड-बंड बोलते रहते हैं.
बिहार के सियासी गलियारे में पखवाड़े भर से यह चर्चा गर्म है कि बिहार में फिर कोई खिचड़ी पक रही है. नीतीश ने भी पीएम मोदी को जन्मदिन की बधाई देकर उन अटकलों को हवा दे दी है. बात में अगर सच्चाई है तो यह समय पर उजागर हो ही जाएगी. बीजेपी बिहार में दमदार भरोसे का साथी तलाश रही है. अभी तक बीजेपी के साथ उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी तो आ गए हैं, लेकिन नीतीश जैसे कद का कोई आदमी न भाजपा में है और न एनडीए के साथी दलों में. बीजेपी ने अपने लिए लोकसभा की 40 में 30 सीटें रखने का फैसला किया है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी अपने लिए 30 सीटें इसलिए रखना चाहती है कि देर-सबेर अगर नीतीश कुमार साथ आए तो उन्हें सीटों से संतुष्ट करने में कोई कठिनाई न हो. साल 2019 में नीतीश जब भाजपा के साथ थे तो उन्हें हिस्से में भाजपा के बराबर 17 सीटें मिली थीं, जिनमें 16 पर जेडीयू ने जीत भी दर्ज की थी.
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