कांग्रेस को अब चुनौती मानने लगी है बीजेपी!
विधान सभा चुनाव में कई मंत्रियों -सांसदों को बीजेपी ने बनाया उम्मीदवार , जानिये क्या है माजरा?
सिटी पोस्ट लाइव :बीजेपी पांच राज्यों के होनेवाले चुनाव को लेकर दरी सहमी है.लोक सभा चुनाव से पहले वो प्रदेश के चुनावों किसी भी कीमत पर जीतना चाहती है. मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में बीजेपी विधान सभा के चुनाव में अपने सांसदों और केन्द्रीय मंत्रियों को मैदान में उतार रही है. मध्य प्रदेश की बीजेपी की दूसरी सूची के 39 उम्मीदवारों में तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत सात सांसद हैं. गौरतलब है कि रविवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आगामी विधानसभा में अच्छे प्रदर्शन का भरोसा जताया था. उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जीत रही है.
इसके ठीक अगले दिन भाजपा ने तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत 7 सांसदों से लैस 39 प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट जारी कर दी है. हो सकता है कि पार्टी का लिस्ट घोषित करने का पहले से कोई कार्यक्रम रहा हो. लेकिन, राहुल के मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जीतने के बयान के बाद कद्दावर नेताओं की लिस्ट में उपस्थित चर्चा का विषय तो बन ही गई है.
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को लेकर राहुल के दावे के पीछे के कारण समझने होंगे. अगले साल होने वाले लोकसभा से पूर्व इस साल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसमें राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है. राहुल गांधी ने चर्चा में कर्नाटक चुनाव का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि ‘हमने कर्नाटक में एक अहम सबक सीखा कि बीजेपी हमें भटका कर चुनाव जीतती है. हमें हमारे नैरेटिव को तैयार नहीं करने देती है’. उन्होंने आगे महत्वपूर्ण बात कही कि ‘हमने कर्नाटक में इस तरह से चुनाव लड़ा कि बीजेपी अपना नैरेटिव बना ही नहीं पाई.’
राहुल गांधी का मानना है कि यदि भटकने की बजाय फोकस होकर चुनाव लड़ा जाएगा तो उन्हें सफलता मिलेगी.मध्य प्रदेश में विगत छह माह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सात दौरे और गृहमंत्री अमित शाह का भी यहां पर फोकस है. यह इस बात को दर्शा रहा है कि वह प्रादेशिक नेताओं के हाथ चुनाव की कमान नहीं देना चाहते. वे इन राज्यों में विधानसभा चुनाव में कमजोर प्रदर्शन के चलते 2024 के लोकसभा चुनाव को खतरे में नहीं डालना चाहते.प्रहलाद पटेल को नरसिंहपुर से टिकट देकर पार्टी ने उमा भारती को भी संतुलित करने का प्रयास किया है. प्रहलाद पटेल अपनी जिंदगी में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. इस तरह से वह मध्य प्रदेश की राजनीति की मुख्य धारा में पुनः शामिल हो जाएंगे.
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