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बिहार कांग्रेस में जारी है घमाशान, मिशन डैमेज कंट्रोल शुरू .

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार कांग्रेस में घमाशान जारी है.कांग्रेस पार्टी  के अंदर गुटबाजी जारी है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह द्वारा प्रदेश कांग्रेस विधायकों की बैठक बुला ली। इस बैठक में अजित शर्मा को सीएलपी लीडर के पद से हटाकर शकील अहमद खान को कांग्रेकर अजीत शर्मा की जगह शकील अहमद को विधायक दल का नेता बना दिये जाने के बाद पार्टी में हलचल तेज है. अजित शर्मा का कहना है कि ‘नेता पद से क्यों हटाया गया गया, इस बात की कोई जानकारी नहीं. उन्हें विधानमंडल दल की बैठक की सूचना भी नहीं थी. अजित शर्मा के मुताबिक ‘मुझे विधायक नेता पद से दल के क्यों हटाया गया, इस बात की भी कोई जानकारी नहीं है. ढाई साल तक इस पद पर रहा. सभी के सभी 19 विधायक और चार एमएलसी को हमने एकजुट रखा.

गौरतलब है कि विधायक दल की बैठक में  19 में 8 विधायक बैठक में आए. सिर्फ आठ विधायकों की उपस्थिति में विधायक दल के नेता अजित शर्मा को हटाकर शकील अहमद खां को नेता चुन लिया गया.कुछ पार्टी वरिष्ठों की मानें तो उनका साफ कहना था कि यह तो होना ही था. एक कहावत है एक म्यान में दो तलवार नहीं रह सकती है. दरअसल अखिलेश सिंह और अजित शर्मा दोनों ही एक जाति (भूमिहार) से हैं. दोनों के राजनीति धरातल भी अलग अलग है, इसलिए यह जो हुआ वह पहले से तय था.’

दरअसल कर्नाटक में जीत के बाद कांग्रेस में नई जान आ गई है. मुस्लिम वोट के आधार पर अन्य जाति के कांग्रेस समर्थक के सहारे सत्ता पलट की जा सकती है. बिहार में भी 16 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं.. कहा जाता है की प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने यह समीकरण आलाकमान को सुझा कर अजित शर्मा को अपने रास्ते से बड़े ही सलीके से हटा दिया.बहरहाल, प्रदेश कांग्रेस के भीतर मचे घमासान को ले कर केंद्रीय नेतृत्व चिंतित है. मिली जानकारी के अनुसार आलाकमान ने मिशन डैमेज कंट्रोल चलाया है.

 अजित शर्मा को यह आश्वासन मिला है कि बिहार में मंत्रिपरिषद विस्तार में उन्हें मंत्री बनाया जायेगा. इसके पहले भी जब महागठबंधन की सरकार बन रही थी, तब भी मंत्रिपरिषद में अजित शर्मा का स्थान पक्का माना जा रहा था. पर कांग्रेस ने मुस्लिम और दलित फॉर्म्यूले को आगे रख अजित शर्मा को मंत्रिपरिषद से बाहर रखा. एक बार फिर कहा जा रहा है कि सवर्ण वोटरों का ख्याल रख कर अजित शर्मा मंत्री बनाए जा सकते हैं. सवर्ण कोटे से मंत्री पद के दावे को ले कर मदन मोहन झा ने भी दावेदारी पेश की है.प्रदेश अध्यक्ष भी भूमिहार और मंत्रिमंडल में भी भूमिहार को ज्यादा तरजीह देने से ब्राहमण भड़क सकते हैं.

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