सिटी पोस्ट लाइव :बिहार की चार विधान सभा सीटों गया की इमामगंज और बेलागंज, आरा की तरारी और कैमूर की रामगढ़ के लिए आज वोटिंग हो रही है. इमामगंज में जीतन राम मांझी तो बेलागंज में सुरेंद्र यादव ,तरारी में सुनील पांडे और रामगढ़ में जगदानंद सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर है.सिटी पोस्ट लाइव के सर्वे के अनुसार बेलागंज में जहाँ 34 साल से सुरेन्द्र यादव लगातार विधायक रहे हैं ,इसबार चूक सकते हैं.जन सुराज के मुस्लिम उम्मीदवार अमजद के पक्ष में मुसलमानों की गोलबंदी देखी जा रही है.भूमिहार भी आरजेडी को हराने के लिए नहीं चाहते हुए भी जेडीयू के पक्ष में गोलबंद नजर आ रहे हैं.
इमामगंज सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री, भारत सरकार के वर्तमान मंत्री जीतन राम मांझी की प्रतिष्ठा दावं पर लगी है.उनके वोट बैंक में सेंधमारी के लिए आरजेडी ने मांझी समाज के नेता रौशन मांझी को और जन सुराज ने जीतेन्द्र पासवान को अपना उम्मीदवार बनाया है.जाहिर है दलित महा दलित के इस गढ़ को भेदने की पूरी तैयारी है.लेकिन सिटी पोस्ट लाइव के अनुसार मांझी समाज के वोट बैंक में ज्यादा सेंधमारी न तो आरजेडी कर पाया है और ना ही जन सुराज.मांझी के लिए यहाँ सबसे बड़ा खतरा जन सुराज हो सकता है.अगर पासवान वोटर्स ने मांझी की बहू की जगह जीतेन्द्र पासवान के लिए वोट कर दिया तो मांझी मुश्किल में पड़ सकते हैं.दूसरा सबसे बड़ा खतरा कुशवाहा वोटर्स से है.अगर लोक सभा चुनाव की तरह कुशवाहा वोट बैंक में आरजेडी सेंधमारी कर लेता है तो दीपा मांझी मुश्किल में पड़ सकती हैं.
रामगढ़ उप चुनाव में बीएसपी पहले स्थान पर नजर आ रही है.उसकी लड़ाई बीजेपी और आरजेडी दोनों के साथ है.यहाँ से हमेशा चुनाव जीतनेवाले जगदानंद सिंह के वोट बैंक जबर्दश्त सेंधमारी दिखाई दे रही है.यहाँ माय समीकरण बिगड़ गया है.यादव वोट बैंक में बीएसपी ने बड़ी सेंधमारी कर ली है.बीसपी के यादव की वजह से यादव वोट बैंक में साफ़ बिखराव दिखाई दे रहा है.मुस्लिम वोट प्रसाद की तरह बंट गया है.सिटी पोस्ट के अनुमान के अनुसार यहाँ पहलीबार लड़ाई बीएसपी और बीजेपी के बीच हो गई है.यहाँ बुत कम वोटों से बीजेपी -बीसएसपी को आरजेडी मात देता रहा है.इसबार माय समीकरण में सेंधमारी और जन सुराज की वजह से लड़ाई दिलचस्प हो गई है. जन सुराज यहाँ बीजेपी के लिए झटका साबित हो रहा है.
तरारी में लड़ाई दिलचस्प है.बीजेपी ने इस ईलाके के बाहुबली सुनील पाण्डेय के बेटे को मैदान में उतारा है.बीजेपी को भरोसा है कि यहाँ केवल सुनील पाण्डेय ही माले को जबाब दे सकते हैं.सुनील पाण्डेय यहाँ से चुनाव जीतते रहे हैं. लेकिन मुश्किल ये है कि सुनील पाण्डेय को बीजेपी के संगठन का और संघ जिस तरह से समर्थन और सहयोग मिलना चाहिए था नहीं मिला. संघ ने काम ही नहीं किया और संगठन ने भी ऐड़ी छोटी का जोर नहीं लगाया.सिटी पोस्ट लाइव के अनुसार यहाँ हार जीत का अंतर बहुत कम रहेगा लेकिन फिरहाल माले का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है.
इन चार सीटों के उपचुनाव को अगले साल होने वाले बिहार विधान सभा चुनाव का सेमीफाइनल कहा जा रहा है. यहां मुख्य मुकाबला महागठबंधन (इंडिया अलायंस) और एनडीए के बीच माना जा रहा है. खास बात यह है कि इंडिया अलायंस के हिस्से में चार में से तीन सीटें थीं, लेकिन इस बार मुख्य मुकाबला इन दिलचस्प है. दोनों गठबंधनों के बीच मुख्य मुकाबला तो है, लेकिन प्रशांत किशोर की जान सुराज ने भी अपनी पूरी ताकत लगा रखी है. चारों सीटों के समीकरण को देखें तो कहीं ना कहीं परिवारवाद की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है.
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