सिटी पोस्ट लाइव : नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बार प्रधानमन्त्री की कुर्सी संभाल चुके हैं. रविवार की शाम नरेंद्र मोदी समेत देशभर से एनडीए के 72 सांसदों ने मंत्री पद की शपथ ली. बिहार और झारखंड मिलाकर 10 सासदों को मोदी कैबिनेट में जगह मिली है. मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हुए बिहार के मंत्रियों के सामाजिक समीकरण को लेकर भी चर्चा तेज हो गई है. इस बार उतरप्रदेश के बाद सबसे अधिक बिहार से 8 मंत्री बनाए गए हैं. लेकिन सामाजिक समीकरण साधने में बड़ी चुक हो गई है. मोदी मंत्रिमंडल में 2 अति पिछड़ा समाज से, 2 दलित, 2 भूमिहार, एक ब्राह्मण और एक यादव को मंत्री बनाया गया है. लेकिन बिहार की कुछ मुखर जाति जिनका चुनाव पर विशेष प्रभाव रहता है अब उनकी नाराजगी की खबर भी आने लगी है.
राजनीतिक गलियारे में सबसे अधिक नाराजगी राजपूत समाज की ओर से देखने को मिल रही है. बिहार में यादव के बाद सबसे अधिक 5 सांसद राजपूत समाज से ही जीत कर आए हैं. लेकिन, मंत्रिमंडल में एक भी राजपूत को मंत्री नहीं बनाया गया है. बिहार की दूसरी सबसे मुखर जाति कुशवाहा जिसके चार सांसद जीत कर आए हैं. एनडीए के 2 और इंडिया गठबंधन से 2 कुशवाहा सांसद जीत कर आए हैं. लेकिन, बावजूद इसके एनडीए से किसी भी कुशवाहा को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है. इस बार बीजेपी से एक भी कुशवाहा को टिकट नहीं मिलने पर बीजेपी और जेडीयू को खामियाजा भुगतना पड़ा है.
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बिहार में वैश्य जाति चुनावी समीकरण को प्रभावित करने वाली महत्वपूर्ण जाति के तौर पर जानी जाती है. लेकिन, इस बार वैश्य समाज से किसी को भी मोदी कैबिनेट में शामिल होने का मौका नहीं मिला है. लगातार चौथी बार संजय जायसवाल इस बार चुनाव जीत कर संसद में पहुंचे हैं. राजनीतिक पंडितों के अनुसार तीनों प्रमुख जातियों की अनदेखी विधानसभा में भारी पड़ सकती है. इसकी तस्वीर लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिली जब कुशवाहा वोटर की नाराजगी एनडीए पर भारी पड़ी. अब जब तीनों जाति को प्रतिनिधित्व नहीं मिला उसका असर भी आगे निश्चित दिखेगा.