शिक्षा के साथ-साथ शत प्रतिशत साक्षरता भी जरूरी : उमाशंकर सिंह

Rahul K
By Rahul K

सिटी पोस्ट लाइव
रांची ।
15 वर्ष एवं उससे अधिक आयु के असाक्षर व्यस्को के लिए उल्लास नव भारत साक्षर कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद में आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का बुधवार को समापन हो गया। कार्यशाला में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव उमाशंकर सिंह, राज्य शिक्षा परियोजना निदेशक शशि रंजन और प्राथमिक शिक्षा निदेशक शशि प्रकाश, संयुक्त सचिव नंद किशोर लाल, उप-निदेशक शुभ्रा रानी एवं अवर सचिव जागो चौधरी ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों, जिला शिक्षा अधीक्षकों एवं जिला शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्यो को उल्लास कार्यक्रम के संचालन और इसके सफल क्रियान्वयन को लेकर मार्गदर्शित किया।

कार्यशाला में राज्य संसाधन समूह के प्रतिनिधियों को भी उल्लास कार्यक्रम के बारे में जागरूक किया गया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए विभागीय सचिव उमाशंकर सिंह ने सर्वे कर ऐसे असाक्षर व्यस्को को इस कार्यक्रम से जोड़ने पर जोर दिया जिन्होंने कभी औपचारिक स्कूली शिक्षा ग्रहण नहीं की। विभागीय सचिव ने कहा कि सरकार का उद्देश्य शिक्षा के साथ साथ शत प्रतिशत साक्षरता के लक्ष्यों को हासिल करना भी है। राज्यस्तर पर पदाधिकारी फील्ड में हो रहे सर्वे और जिला, प्रखंड, संकुल एवं विद्यालय स्तरीय नव भारत साक्षरता समिति के कार्यो की निरंतर मॉनिटरिंग करे। उन्होंने लगातार जन चेतना केंद्रों (नव भारत साक्षरता केंद्र) के अनुश्रवण का निर्देश भी दिया है।

उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम हाइब्रिड मोड़ पर लागू किया गया है, मगर सर्वे के दौरान ऑनलाइन डाटा उल्लास एप और उल्लास ठकछढ पोर्टल पर अपलोड अवश्य करे, जिससे राज्य को सर्वे का डाटा उपलब्ध हो सके। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के लिए जिला शिक्षा अधीक्षकों को जिलास्तर पर नोडल पदाधिकारी बनाया गया। कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए उल्लास झारखंड के नोडल पदाधिकारी मनोज कुमार निराला ने बताया कि हमारा लक्ष्य झारखंड को शत प्रतिशत साक्षर बनाना है। इस योजना के पांच महत्वपूर्ण घटक है जिनमे बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता, महत्वपूर्ण जीवन कौशल, आर्थिक, वैधानिक, स्वास्थ्य, पर्यावरण, आपदा प्रबंधन साक्षरता, बुनियादी शिक्षा, व्यावसायिक कौशल निर्माण और शिक्षा में निरंतरता शामिल है। इस कार्यक्रम के तहत असाक्षरों को जन चेतना केंद्रों के माध्यम से साक्षर किया जाता है।

इस कार्यक्रम के तहत कोई भी स्वैछिक शिक्षक बन सकता है। विशेष रूप से प्राथमिक/माध्यमिक/उच्च माध्यमिक शिक्षक, विद्यालय के कक्षा 8-9 और उससे ऊपर के कक्षाओं के विद्यार्थी, कॉलेज के विद्यार्थी, एनजीओ, नेहरू युवा केंद्र और झारखंड राज्य आजीविका संवर्धन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) के सदस्य स्वैच्छिक शिक्षक बन सकता है। स्वैच्छिक शिक्षकों को पहचान पत्र, प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित भी किया जाता है। इस कायक्रम के अंतर्गत साक्षर होने वालो को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान के द्वारा आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता मूल्यांकन परीक्षण के माध्यम से साक्षरता का प्रमाण पत्र भी दिया जाता है।
क्या है जन चेतना केंद्र?

जन चेतना केंद्र विद्यालय, आंगनबाड़ी केंद्रों, पंचायत भवनों, निजी आवासों, शिक्षार्थियों के घरो आदि स्थानों पर परिकल्पित और संचालित होते है। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में जो भूमिका विद्यालयों की है, वहीं भूमिका नव भारत साक्षरता कार्यक्रम में जन चेतना केंद्रों की होती है। विद्यालय स्तरीय चेतना केंद्र और मॉडल चेतना केंद्र इस कार्यक्रम के मुख्य चेतना केंद्र है, जहां शिक्षार्थियों के लिए आवशयक सभी सुविधाएं उन्हें दी जाती है। मॉडल जन चेतना केंद्र आईसीटी सुविधाओं से संपन्न होते है। उल्लास के अंतर्गत प्रत्येक विद्यालय में रजिस्ट्रेशन/नामांकन पंजी, उपस्थिति पंजी, टैग (असाक्षर और वीटी) पंजी, एवं विद्यालय नव भारत साक्षरता समिति के गठन एवं बैठकों की कार्रवाई से संबंधित पंजी का संधारण आवश्यक है। प्रत्येक जन चेतना केंद्र पर ‘उल्लास नव भारत साक्षरता कार्यक्रम एवं जन चेतना केंद्र’ का नाम लिखना भी आवश्यक है।

Share This Article