सिटी पोस्ट लाइव
बरही । भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान झारखंड गौरियाकरमा के तत्वधान में मुगीर्पालन के उत्तम गुण सिखने और मुगीर्पालन से आमदनी और स्वास्थ्य के सुधार को ध्यान में रखते हुए सोमवार को 25 किसानों का पहला दल केन्द्रीय कुक्कुट अनुसंधान संस्थान, बरेली के लिए रवाना किया गया। बताते चलें कि संस्थान द्वारा संचलित आदिवासी उप परियोजना के अंतर्गत यह कार्यक्रम अयोजित किया जा रहा है जो 5 दिनों तक 06-12 जनवरी 2025 तक चलेगा।
इस दल में हजारीबाग के दो प्रखंडो चुरचू, बरही और रांची के किसानों को चयनित किया गया है। इस दल में 4 महिला और 21 पुरुष किसानों को शामिल किया गया है। संस्थान के विशेष कार्य अधिकारी का कहना है कि ऐसे 4-5 दल भविष्य में प्रशिक्षण के लिए भेजे जायेंगे। प्रशिक्षण प्राप्त किसानो को उन्नत नस्ल के चूजो को भी मार्च में जब तापमान बढ़ जायेगा, देने का प्रावधान परियोजना में किया गया है। डॉ विशाल नाथ ने बताया कि आदिवासी किसानो से उनके इच्छा के अनुरूप उपक्रय जैसे खेती, बागवानी, मुगीर्पालन, सुवर पालन, मशरूम आदि का विकल्प मांगा गया था, जिसमें हर क्षेत्र के लिए किसानो का चयन किया गया है और धीरे- धीरे सभी किसानो को उनके मन मुताबिक विकास में मदद की जायेगी।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूर्व में फसल के बीज फलदार पौधे आदि आदिवासी किसानों को उनके मन मुताबिक मुहैया कराता रहा है। मुर्गी पालन के प्रशिक्षण का नेतृत्व डॉ मोनिका कर रही है जो कुक्कुट पालन विषय की वैज्ञानिक है तथा पुरी योजना को डॉ पंकज कुमार सिन्हा, नोडल अधिकारी के नेतृत्व में किया जा रहा है। आज किसानों के दल को डॉ. विशाल नाथ और डा सनत कुमार महन्ता ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर डा मोनका, डा दीपक कुमार गुप्ता, मनोज चौधरी, डॉ कृष्ण प्रकाश डा निरंजन कुमार, अरुण रजक, हरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, बादल कुमार सहित अनेक वैज्ञानिक व कर्मचारी उपस्थित थे।