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400% टमाटर की कीमत में उछाल, 122 रुपये किलो पहुंचा भाव.

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सिटी पोस्ट लाइव : टमाटर के दाम आसमान छू रहे हैं. पटना  में  120  रुपये किलो के भाव से टमाटर बिक रहा है.पिछले सप्ताह टमाटर 40 रूपये किलो बिक रहा था .लेकिन अचानक 100 रुपये के पार पहुँच गया.भारत सरकार के  उपभोक्ता मामलों के विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि टमाटर की कीमतों में तेजी एक अस्थायी समस्या है. हर साल इस समय ऐसा होता है. दरअसल टमाटर बहुत जल्द खराब होने वाला खाद्य उत्पाद है और अचानक बारिश होने से इसकी ढुलाई पर असर पड़ता है.

 

 उपभोक्ता मामलों के विभाग के पास उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, 27 जून को अखिल भारतीय स्तर पर टमाटर की औसत कीमत 46 रुपये प्रति किलो रही. हालांकि इसकी अधिकतम कीमत 122 रुपये प्रति किलो भी दर्ज की गई है.देश के चार मेट्रो शहरों की बात करें तो दिल्ली में टमाटर की खुदरा कीमत 60 रुपये प्रति किलो, मुंबई में 42 रुपये प्रति किलो, कोलकाता में 75 रुपये प्रति किलो और चेन्नई में 67 रुपये प्रति किलो रही. हालांकि सरकारी आंकड़ों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और कर्नाटक के बेल्लारी में टमाटर का भाव 122 रुपये प्रति किलो दर्ज किया गया है.

 

 दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में दूध एवं फल-सब्जियों की बिक्री करने वाली मदर डेयरी के स्टोर पर भी टमाटर का भाव एक हफ्ते में ही दोगुना होकर करीब 80 रुपये प्रति किलो हो चुका है. मदर डेयरी के प्रवक्ता के अनुसार मॉनसून आने से टमाटर की फसल इस समय मौसमी बदलावों से गुजर रही है. हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बारिश होने से टमाटर की फसल प्रभावित हुई है और इसकी आपूर्ति भी मांग की तुलना में कम हो गई है.होलसेल और रिटेल वेजिटेबल सेलर्स का कहना है कि टमाटर की कीमत तीन हफ्ते में 400 परसेंट चढ़ी है.

देश के सेंट्रल और साउथ के राज्यों से अगले सात से 10 दिन में नई फसल आने की संभावना है. ट्रेडर्स का कहना है कि अगर मॉनसून ने खेल खराब नहीं किया तो अगले महीने के मध्य से टमाटर की कीमतों में कमी आनी शुरू हो जाएगी. हालांकि उन्होंने कहा कि बारिश के कारण देश के कई इलाकों में फसल प्रभावित हुई है. इस कारण दूसरी सब्जियों की कीमत बढ़ सकती है.

2020 और 2021 में टमाटर की बंपर फसल हुई थी और कीमत में भारी गिरावट से किसानों की लागत भी नहीं निकल पाई थी. यही वजह है कि इस बाह हिमाचल, उत्तराखंड और कई दूसरे राज्यों के किसानों ने टमाटर की खेती से परहेज किया. पिछले साल की तुलना में इस बार उत्पादन आधा है. रही सही कसर ओले और बारिश ने पूरी कर दी.

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