सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में थर्ड जेंडर को भी एक जाति मान लिया गया है. जाति आधारित गणना के लिए जातियों की जो सूची जारी हुई है, उनमें 214 अन्य जातियों की तरह थर्ड जेंडर को भी अलग जाति की श्रेणी में रखा गया है.सूची में इन्हें 22 नंबर कोड दिया गया है. लिंग के आधार पर नहीं, बल्कि जाति के आधार पर थर्ड जेंडर की एंट्री गणना प्रपत्र में होगी.
सरकार के इस फैसले पर इस समाज के लोगों में नाराजगी है. उनका कहना है कि लिंग के आधार पर किसी की जाति का निर्धारण करना गलत है.यह मंगलामुखी समाज का अपमान है. हालांकि इस मामले में समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने कहा कि सभी जातियों के नाम दिए गए हैं.मंगलामुखी समाज के लोग चाहें तो अपनी संबंधित जाति बता सकते हैं. वे अपनी पसंद से थर्ड जेंडर जाति का विकल्प भी चुन सकते हैं.
मंगलामुखी कल्याण से जुड़ी एनजीओ दोस्ताना सफर की संस्थापक सचिव रेशमा का कहना है कि किसी के लिंग को उसकी जाति से कैसे जोड़ा जा सकता है.कोई किसी भी जाति में पैदा हो सकता है. किसी भी धर्म को मानने वाला हो सकता है. क्या महिला और पुरुष अलग-अलग जाति हैं.यदि नहीं, तो फिर मंगलामुखी को जाति कैसे माना जा रहा है. उन्होंने कहा है कि इसको लेकर वह मुख्यमंत्री को पत्र लिखेंगी.2011 की जनगणना के अनुसार बिहार में मंगलामुखी (थर्ड जेंडर) की संख्या 40 हजार से अधिक है.
जाति आधारित गणना की शुरुआत 15 अप्रैल से हो रही है जो 15 मई तक चलेगी. इस दौरान 17 प्रश्न पूछे जाएंगे. हर प्रश्न के उत्तर के लिए कोड बनाए गए हैं.सामान्य प्रशासन विभाग की सूची के अनुसार 214 जातियां हैं. जिनकी जाति नहीं होगी, वे 215वें नंबर यानी अन्य की श्रेणी में रखे जाएंगे.हालांकि, इसके लिए संबंधित अंचलाधिकारी की अनुमति लेनी होगी. धर्म के मुताबिक 01 से लेकर 08 तक के कोड हैं.किसी धर्म को नहीं मानने वाले के लिए 08 नंबर कोड है. इसी तरह विवाहित, अविवाहित, विधवा, विधुर के लिए भी कोड है. जिला, प्रखंड, पंचायत, वार्ड, शिक्षा के लिए भी कोड तय किए गए हैं.
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