BJP को चुनाव जिताने के लिए मोदी नहीं योगी की जरुरत!
राजनीतिक पंडित मानते हैं कि मोदी की राजनीति का ही एक्सटेंशन है योगी की राजनीति ,
सिटी पोस्ट लाइव : अब पुरे देश में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्रधानमंत्री मोदी के साथ हो रही है.1998 में जब गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए, तो उनकी उम्र महज़ 26 साल हो रही थी.योगी मार्च 2017 में 45 साल की उम्र में देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए. नरेंद्र मोदी पहली बार राजकोट-2 से विधायक चुने गए थे. 51 साल की उम्र में 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे और 2002 में यह मोदी के राजनीतिक जीवन का पहला चुनाव था.नरेद्र मोदी की पहचान हिंदुत्व के झंडाबरदार के रूप में रही है और योगी भी इस मामले में उनपर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं.गुजरात में मुसलमानों की आबादी क़रीब 10 फ़ीसदी है, लेकिन वहाँ मोदी ने मुख्यमंत्री रहते हुए बीजेपी से किसी मुसलमान को टिकट नहीं दिया.उत्तर प्रदेश में मुसलमान 19 फ़ीसदी हैं और यहाँ भी योगी की अगुवाई वाली बीजेपी में मुसलमान हाशिए पर हैं.
मोदी के नेतृत्व में गुजरात जिस तरह से चलाया जा रहा था और योगी अपने नेतृत्व में जिस तरह से उत्तर प्रदेश को चला रहे हैं, उसकी तुलना कई मोर्चों पर की जा रही है.जिस तरह योगी राज में उत्तर प्रदेश में पुलिस एकाउंटर को लेकर सवाल उठ रहे हैं, उसी तरह से मोदी राज में भी गुजरात में कई ऐसे विवादित पुलिस एनकाउंटर हुए थे, जिन पर कोर्ट की बहुत तीखी टिप्पणियाँ आई थीं.गुजरात में 2002 से 2007 के बीच 17 ऐसे विवादित एकाउंटर हुए थे, जिनमें पुलिस और सरकार की भूमिका पर गंभीर सवाल उठे थे.पत्रकार और लेखक नीलांजन मुखोपाध्याय नरेंद्र मोदी पर एक किताब लिख चुके हैं. वे कहते हैं कि योगी की राजनीति मोदी की राजनीति का ही एक्सटेंशन है.
मोदी की गुजरात कैबिनेट देखें या फिर मोदी की केंद्रीय सरकार की कैबिनेट, दोनों में उनके सामने न कोई था और न कोई है.””अमित शाह ज़रूर दोनों जगह शक्तिशाली रहे हैं, लेकिन यह मोदी की शख़्सियत के उभार में उनकी अहम भूमिका के कारण है. इसी तरह से उत्तर प्रदेश की योगी कैबिनेट को देखिए तो योगी के सामने किसी मंत्री की नहीं चलती है. योगी का तो कोई अमित शाह भी नहीं है.”’2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत का श्रेय मोदी को जाता है. 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में जीत का श्रेय मोदी और योगी दोनों को जाता है. अब योगी ख़ुद भी बहुत लोकप्रिय नेता बन गए हैं. उत्तर प्रदेश में 2027 में अगला विधानसभा चुनाव होगा. 2027 को लेकर अभी से कुछ भी कहना जल्दबाज़ी होगी. लेकिन इतना ज़रूर कहा जा सकता है कि चुनाव जीतने के लिए योगी की मोदी पर निर्भरता कम हुई है.”
योगी की बढ़ती लोकप्रियता के कारण ही उन्हें मोदी के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है. यह बात किसी से छिपी नहीं है कि अमित शाह ने योगी के समानांतर केशव मौर्य, अरविंद शर्मा, ब्रजेश पाठक और दिनेश शर्मा को खड़ा करने की कोशिश की, लेकिन योगी ने किसी की नहीं चलने दी.” बीजेपी में मोदी के बाद अगर कोई सबसे ज़्यादा लोकप्रिय है, तो वह योगी हैं. योगी अब चुनाव जीतने के लिए मोदी पर पूरी तरह से निर्भर नहीं हैं. अब मोदी को भी योगी की ज़रूरत पड़ेगी. योगी भीड़ जुटाऊ नेता बन गए हैं.””बीजेपी ने इस मामले में योगी को बहुत मौक़ा भी दिया है. हर राज्य से योगी की रैली की मांग होती है. ऐसी ही मांग मोदी को लेकर होती थी. 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में चेहरा मोदी थे, लेकिन 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में योगी चेहरा बन गए थे और तब डबल इंजन की सरकार की बात होने लगी थी.”
आरएसएस के एक बड़े नेता का कहना था कि संघ की वजह से योगी मुख्यमंत्री बने न कि मोदी और शाह की वजह से. योगी आदित्यनाथ का मुख्यमंत्री बनना महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस और हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर से बिल्कुल अलग था. खट्टर और फडणवीस दोनों की कोई मज़बूत राजनीतिक ज़मीन नहीं थी.”अतीक़ अहमद और अशरफ़ अहमद के मारे जाने के बाद प्रयागराज में लोगों की प्रतिक्रिया क़रीब-क़रीब धार्मिक आधार पर बँटी हुई थी.हिंदुओं के बीच लोकप्रिय टिप्पणी थी- गुंडों के ख़िलाफ़ सख़्ती में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए.मुसलमानों के बीच इस बात पर नाराज़गी थी कि किसी को भी सड़क पर गोली नहीं मारी जा सकती. सज़ा क़ानून के तहत मिलनी चाहिए.
अगस्त 2020 में अंग्रेज़ी अख़बार इकनॉमिक टाइम्स में योगी राज में मार्च 2017 से अगस्त 2020 के बीच हुए पुलिस एनकाउंटर को लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी.इस रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2017 से अगस्त 2020 के बीच उत्तर प्रदेश में कुल 125 लोग पुलिस एनकाउंटर में मारे गए और इनमें से 47 लोग मुसलमान थे.इन तीन सालों में पुलिस एनकाउंटर में मारे गए लोगों में कुल 37 फ़ीसदी मुसलमान थे. उत्तर प्रदेश में मुसलमानों की आबादी 19 फ़ीसदी है.इन एनकाउंटर में 13 पुलिसकर्मियों की भी मौत हुई थी.योगी आदित्यनाथ जब 2017 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, तो एक साल में पुलिस एनकाउंटर में कुल 45 लोगों की जान गई, जिसमें 16 मुसलमान थे.ज़्यादातर एनकाउंटर पश्चिम उत्तर प्रदेश में हुए थे.
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योगी को लग रहा है कि इससे उनकी लोकप्रियता बढ़ रही है. हिंदू वोट ध्रुवीकृत होगा तो ये ख़ुद को मोदी के उत्तराधिकारी के रूप में पेश कर सकते हैं. यह लड़ाई यूपी मॉडल बनाम गुजरात मॉडल की है. 2014 के बाद का भारत जिस राह पर है, उसी तेवर और तरीक़े के साथ 2017 से योगी यूपी को आगे बढ़ा रहे हैं.” लेकिन कुछ लोगों को ये भी लगता है कि योगी जिस तरह से यूपी चला रहे हैं, वह अमित शाह को रास नहीं आ रहा है. प्रधान को लगता है कि 2024 के बाद यूपी में कोई बड़ा खेल हो सकता है.
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