मनरेगा के भुगतान में 200 करोड़ से अधिक का जीएसटी घोटाला.
अफसरों ने टीडीएस नहीं काटा, नतीजा-वेंडरों ने टर्नओवर छिपा किया
सिटी पोस्ट लाइव : राज्य में दो सौ करोड़ रूपये से ज्यादा का जीएसटी घोटाला उजागर हुआ है. मनरेगा में अफसरों और सप्लायरों ने बड़ा गोलमाल किया है. घोटाले का तरीका भी बिल्कुल नया अपनाया. मनरेगा के तहत निर्मित अधिसंरचनाओं में नियम है कि सप्लायर को 2% टीडीएस काट कर भुगतान किया जाएगा. लेकिन मनरेगा अफसरों ने टीडीएस काटा ही नहीं. नतीजा हुआ कि वेंडरों ने टर्नओवर छिपाया और जीएसटी की भी पूरी राशि हजम कर गए. सप्लाई की गई सामग्री पर 5 से 28 फीसदी तक जीएसटी बनता है.
अनुमान है कि राज्य के 38 जिलों में दो सौ करोड़ से अधिक के जीएसटी का नुकसान हुआ है. करीब डेढ़ सौ करोड़ टीडीएस की भी चपत लगी है. वेंडरों और मनरेगा अफसरों की मिलीभगत से हुए इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब महालेखाकार की टीम ने बांका जिले का ऑडिट किया. इसी के बाद ग्रामीण विकास एवं वाणिज्यकर विभाग में हड़कंप मचा. अब आनन-फानन में जांच-पड़ताल और वसूली की औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं.
राज्य वाणिज्यकर आयुक्त-सह-सचिव डॉ प्रतिमा ने बांका में महालेखाकार की फाइंडिंग को आधार मान सभी डीएम को पत्र लिखा. इसी आधार पर वाणिज्य-कर विभाग के क्षेत्रीय कार्यालयों ने जब मनरेगा योजना में किए गए भुगतान के आंकड़ें प्राप्त किए और इनका मिलान सप्लायरों द्वारा दाखिल विवरणियों से किया तो बड़ा गैप पकड़ में आया.
कानून के अनुसार बिना टीडीएस काटे भुगतान मनरेगा में जीएसटी रजिस्टर्ड वेंडरों से ही सप्लाई लेनी है. 2.5 लाख से ऊपर के भुगतान पर 2% टीडीएस काटना है. लेकिन, कार्यक्रम पदाधिकारियों ने वेंडरों को भुगतान करते वक्त टीडीएस कटौती की ही नहीं. वेंडरों ने जीएसटी नहीं दिया वेंडरों से जब टीडीएस की कटौती नहीं हुई तो अधिकतर ने सप्लाई को अपने टर्न ओवर में दिखाया ही नहीं और सरकार को जीएसटी का भुगतान भी नहीं किया. जांच में कई वेंडरों के जीएसटी नंबर भी गलत पाए गए.
निबंधन भी नहीं कराया जीएसटी की धारा 51 के अनुसार ढाई लाख या उससे अधिक की सप्लाई प्राप्त करने वाले कार्यक्रम पदाधिकारी का जीएसटी निबंधन जरूरी है, पर किसी ने ऐसा नहीं किया। इससे सप्लायर जीएसटी नेट में आने से बच गए. राज्य कर विशेष आयुक्त, संजय कुमार मावंडिया के अनुसार बिहारमनरेगा के तहत सप्लायर्स द्वारा जीएसटी का भुगतान नहीं करने का मामला सामने आया था. कर चोरी रोकने के लिए सभी डीएम को पत्र भेजा गया है. सप्लायर्स के खिलाफ विधिसंवत कार्रवाई भी हुई है. गड़बड़ी पर रोक लग चुकी है. जिला प्रशासन के सहयोग से जीएसटी का भुगतान हो रहा है. –
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