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पटना: पटना जंक्शन पर कल एक ऐसा खुलासा हुआ जिसने न केवल कानून-व्यवस्था को हिला दिया, बल्कि हर उस इंसान के विश्वास को तोड़ दिया, जो अपने खाने को शुद्ध और सुरक्षित समझता है। पटना रेल पुलिस ने छापेमारी कर नकली पनीर की एक बड़ी खेप पकड़ी, जिसे राउरकेला भेजा जा रहा था। इस पनीर को ट्रेन में चढ़ाने की पूरी तैयारी हो चुकी थी। लेकिन इस घटना में सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि इस गोरखधंधे में रेलकर्मियों की सीधी संलिप्तता पाये गए है।
जब मुख्य आरोपी धनंजय से पूछताछ हुई तो उसने एक-एक राज खोल दिए। यह नकली पनीर का कारोबार केवल एक दिन या एक हफ्ते से नहीं, बल्कि लंबे समय से चल रहा था। इस रैकेट में रेलकर्मियों की सक्रिय भागीदारी ने इसे अंजाम तक पहुंचाया। जिन रेलकर्मियों पर हमें भरोसा होता है, वही हमारे भोजन को जहरीला बनाने में शामिल थे। यह मामला सिर्फ नकली पनीर का नहीं है, बल्कि हमारे समाज के मूल्यों और हमारी सुरक्षा पर हमला है।
कल्पना कीजिए, यह नकली पनीर न जाने कितने घरों की रसोई में पहुंचा होगा। कितने मासूम बच्चे, बुजुर्ग, और महिलाएं इसे खाकर बीमार पड़ सकते थे। यह केवल कानून का उल्लंघन नहीं, बल्कि इंसानियत के खिलाफ अपराध है। रेलवे एसपी अमृततेंदू शेखर ने खुद इस मामले की मॉनिटरिंग की और आश्वासन दिया कि इसमें शामिल हर व्यक्ति को बेनकाब किया जाएगा। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ कानून व्यवस्था का मामला नहीं, बल्कि लोगों की जिंदगी से जुड़ा हुआ अपराध है। दोषियों को सख्त सजा मिलेगी।”
यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारा भोजन सुरक्षित है! यह सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि हमारे भरोसे पर एक गहरी चोट है। नकली पनीर का यह धंधा हमारे स्वास्थ्य, हमारी भावनाओं, और हमारी सुरक्षा को छलावा दे रहा था। अब वक्त आ गया है कि हम अपने खाने-पीने की चीजों को लेकर और ज्यादा सतर्क हों। यह मामला हमें याद दिलाता है कि जरा-सी लापरवाही न केवल हमारी सेहत, बल्कि हमारे परिवार की खुशियों को भी निगल सकती है।