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पटना: पटना में साइबर फ्रॉड का एक बड़ा खुलासा हुआ है, जिसमें युवकों को बड़ी कंपनियों के नाम पर फर्जी ट्रेनिंग दी जाती थी और उन्हें साइबर अपराध करने के लिए तैयार किया जाता था। 20 दिनों की ट्रेनिंग के बाद उन्हें ₹20,000 वेतन पर नौकरी पर रखा जाता था, और फिर उनके जरिए भारत सरकार की बड़ी कंपनियों का नाम इस्तेमाल करके साइबर फ्रॉड कराया जाता था।
साइबर थाना ने इस पूरे मामले का खुलासा किया है, जिसमें यह पता चला कि विभिन्न राज्यों से युवकों को विज्ञापनों के जरिए पटना बुलाया जाता था और उन्हें ट्रेनिंग दी जाती थी। ट्रेनिंग के बाद उन्हें फर्जी तरीके से काम करने के लिए लगाया जाता था, जिसमें मुख्य रूप से टाटा सोलर पावर कंपनी का नाम इस्तेमाल किया जा रहा था।
साइबर थाना ने रामकृष्ण नगर इलाके में कार्रवाई करते हुए चार साइबर अपराधियों को पकड़ा है, जिनमें से तीन तेलंगाना के हैं। इस गिरोह का मास्टरमाइंड नालंदा का निवासी है, जो फरार है। पुलिस ने उनके पास से 10 मोबाइल फोन, कई एटीएम डेबिट कार्ड और लैपटॉप बरामद किए हैं।
साइबर डीएसपी बमबम तिवारी ने बताया कि पटना अब पूरे भारत में साइबर फ्रॉड के मामले में तीसरे नंबर पर आ गया है, जो चिंता का विषय है। यह फ्रॉड फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफार्मों पर चल रहा था, जिसमें टाटा सोलर पावर कंपनी का नाम इस्तेमाल किया जा रहा था। पुलिस अब गिरोह के सरगना की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है।