जाली नोट तस्करी करने वालों को 7 साल की जेल के साथ 10 हजार का जुर्माना

Manisha Kumari

सिटी पोस्ट लाइव

पटना: देश में जाली नोटों के प्रसार के मामले में NIA की विशेष अदालत ने निर्णायक फैसला सुनाया। मो. मुमताज और मो. बैतुलाह, जो 2019 से न्यायिक हिरासत में बेऊर जेल में बंद थे। इनके जाली नोट तस्करी के आरोप स्वीकार करने के बाद, 7-7 वर्ष सश्रम कारावास की सजा और 10,000 रुपये का जुर्माना भुगतने का आदेश दिया गया। सुनवाई के दौरान दोनों आरोपितों को पटना की विशेष अदालत में पेश किया गया।

डीआरआई की टीम द्वारा गुप्त सूचना पर पूर्णिया में 2 दिसंबर 2019 को गिरफ्तार किए गए आरोपियों पर उच्च गुणवत्ता वाले 500 रुपये के 1.90 लाख रुपये के जाली नोटों की तस्करी के जुर्म में यह फैसला सुनाया गया। बाद में NIA ने मामले की जांच संभालकर आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की। यह ऐतिहासिक निर्णय न्याय व्यवस्था में पारदर्शिता की नई मिसाल कायम करता है और देश में भ्रष्टाचार तथा अवैध गतिविधियों पर कड़ी पकड़ की उम्मीद जगाता है।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने एक बयान में कहा कि मंगलवार को विशेष अदालत ने बांग्लादेशी और नेपाली नागरिकों से जुड़े नोटों की तस्करी के मामले में दो आरोपियों को सात साल की कैद के साथ 8,000 रुपये का जुर्माना लगाया। जांच में पता चला कि इस मामले में कुल छह आरोपियों की भूमिका सामने आई है। बयान में बताया गया है कि मुमताज ने मोहम्मद बैतुल्लाह, गुलाम मुर्तजा उर्फ़ सीटू, सादेक मिया, नेपाल के बिलटू महतो और बांग्लादेश के मोहम्मद मुंशी के साथ मिलकर बांग्लादेश से नकली नोट खरीदे और तस्करी की साजिश रची थी, जिसका मकसद भारत की अर्थव्यवस्था को अस्थिर करना था।

बता दें कि NIA ने मई 2020 से जुलाई 2021 के बीच सभी छह आरोपियों के खिलाफ अलग-अलग आरोपपत्र दर्ज किए थे। बयान में यह भी उल्लेख है कि मुकदमे के दौरान मुर्तजा की न्यायिक हिरासत में मृत्यु हो गई, जबकि बिलटू महतो और मोहम्मद मुंशी को मामले में भगोड़ा घोषित कर दिया गया। जांच के अनुसार, आरोपियों ने मुर्तजा से धन प्राप्त कर आगे की डिलीवरी के लिए मुमताज को सौंप दिया था। मुमताज, बिलटू महतो के निर्देशानुसार कार्य कर रहा था। साथ ही, जांच में सामने आया कि मुर्तजा नकली नोटों की खेप मुंशी से प्राप्त करता था, जबकि सादेक मिया मुंशी का सहयोगी था।

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