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पटना। मुजफ्फरपुर के सुधार गृह कांड में कोर्ट ने सबूतों की कमी के कारण मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर और शाइस्ता परवीन को बरी कर दिया। इस मामले में बृजेश ठाकुर पर 11 महिलाओं और उनके चार बच्चों को गायब करने का आरोप था।
बालिका गृह कांड में सजा काट रहे बृजेश ठाकुर और शाइस्ता परवीन को सुधार गृह कांड में कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में बरी किया। गुरुवार को तिहाड़ जेल से बृजेश ठाकुर, शाइस्ता परवीन उर्फ मधु और कृष्णा को विशेष एससी-एसटी कोर्ट में पेश किया गया। न्यायाधीश अजय कुमार मल्ल ने मामले की सुनवाई करते हुए साक्ष्य की कमी के कारण सभी आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट के फैसले के बाद बृजेश ठाकुर, शाइस्ता परवीन और कृष्णा को फिर से दिल्ली के तिहाड़ जेल भेज दिया गया।
गौरतलब है कि समाज कल्याण विभाग ने ब्रजेश ठाकुर की एनजीओ सेवा संकल्प और विकास समिति को बालिका गृह के साथ सुधार गृह चलाने का भी जिम्मा सौंपा था। वर्ष 2018 में जब बालिका गृह कांड का खुलासा हुआ, तो जिला प्रशासन ने सुधार गृह का भी सत्यापन किया। जांच में यह सामने आया कि सुधार गृह में रह रही 11 महिलाओं और उनके चार बच्चों का कोई पता नहीं था, और गृह के ताले बंद थे। इस पर तत्कालीन सहायक निदेशक दिवेश शर्मा ने महिला थाने में एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें सेवा संकल्प और विकास समिति के अधिकारियों को आरोपित किया गया था। पुलिस की जांच में बृजेश ठाकुर, शाइस्ता परवीन सहित चार लोगों की संलिप्तता पाई गई थी।