क्या बेतिया राज की जमीन के अधिग्रहण में हो रहा खेल, आ रही हैं गंभीर शिकायतें.

City Post Live

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में बेतिया राज की लगभग 15,358 एकड़ जमीन के पूर्ण अधिग्रहण का रास्ता साफ हो गया है. लेकिन सिटी पोस्ट लाइव इस सम्बन्ध में एक बड़ा खुलासा करने जा रहा है.हमारे सूत्रों के अनुसार बेतिया राज की जो जमीन अभी बताई जा रही है, उससे कई गुना ज्यादा जमीन है.बेतिया राज के साथ कई लोगों ने अपनी जमीन बदली थी.लेकिन बेतिया राज की उस जमीन को बेंचने के बाद अब फिर से वो अपनी पुरानी जमीन जिसे उन्होंने बदले में बेतिया राज को दे दिया था, उसके ऊपर फिर से अपना हक़ जता रहे हैं.उसके ऊपर कब्ज़ा कर रहे हैं.बदलेन का रजिस्टर गायब कर दिया गया है.जमीन के बंदोबस्ती का खेल जारी है.

बेतिया राज के मैनेजर अनिल कुमार सिंह की भूमिका पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं. लोगों का कहना है कि उनके खिलाफ निगरानी की जांच चल रही है फिर भी उन्हें इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेवारी दे दी गई है.जानकारी के अनुसार बेतिया राज की जमीन के दस्तावेज कैथी लिपि में है.लेकिन   पर्याप्त संख्या में कैथी लिपि के जानकार( कैथी लिपि के अनुवादक ) तैनात नहीं किये गये हैं.अगर अनुवादक तैनात कर जमीन की डीड  को पढने का काम जल्द नहीं शुरू होगा तो करोड़ों की जमीन का घपला हो सकता है.सूत्रों के अनुसार अगर समय रहते रिकॉर्ड रूम को के.के. पाठक जैसे  ईमानदार अधिकारी अपने कब्जे में नहीं लेगें तो कई महत्वपूर्ण रिकार्ड्स गायब हो जायेगें.जानकारों का दावा है कि बेतिया राज की जमीन एक लाख एकड़ से ज्यादा है लेकिन अभीतक केवल 15 हजार एकड़ की बात की जा रही है.

जानकारी के अनुसार बेतिया में राजस्व कर्मचारी के 25 पद  हैं लेकिन अभीतक उनकी तैनाती नहीं की गई है.लोगों का आरोप ये भी है कि जिस एजेंसी को राजस्व का काम दिया गया है उसने राजस्व कर्मचारियों की बहाली अभीतक नहीं की है.लोगों की ये भी शिकायत है कि एजेंसी केवल डाटा ऑपरेटर्स और एमटीएस की बहाली में रूचि ले रही है. बहाली में पैसे के लेनदेन की शिकायतें भी आ रही हैं.लेकिन सिटी पोस्ट लाइव इसकी पुष्टि नहीं करता है.  लेकिन स्थानीय लोगों का दावा है कि अगर ये बातें के.के. पाठक के संज्ञान में आ गई तो बेतिया राज की सम्पति को बचाया जा सकता है.सिटी पोस्ट लाइव ईन आरोपों की पुष्टि नहीं करता है.सिटी पोस्ट लाइव का मकसद शिकायतों से सरकार को अवगत कराना है ताकि निष्पक्ष जांच हो सके और समय रहते कारवाई की जा सके. 

गौरतलब है कि बिहार विधानमंडल की ओर से पिछले महीने शीतकालीन सत्र में पारित विधेयक के बाद 11 दिसंबर को ‘बेतिया राज संपत्ति निहित अधिनियम-2024’ की राजपत्र अधिसूचना जारी की गई. इससे पहले, इन संपत्तियों का प्रबंधन ‘कोर्ट ऑफ वार्ड्स’, राजस्व बोर्ड (बिहार सरकार) की ओर से किया जाता था.राजपत्र अधिसूचना के मुताबिक, ‘बिहार राज्य के अंदर या बाहर स्थित बेतिया राज की सभी मौजूदा संपत्तियां, फिर चाहे वे न्यायालय के संज्ञान में हैं या जिनकी देखभाल न्यायालय की ओर से की जा रही है, चल या अचल, इस अधिनियम के लागू होने की तिथि से राज्य सरकार के पास निहित होंगी. बेतिया राज संपत्ति में बेतिया के तत्कालीन राजा की सभी चल और अचल संपत्तियां शामिल हैं.



दीपक कुमार सिंह ने बताया कि बेतिया राज की भूमि के प्रभावी संरक्षण और प्रबंधन को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से अधिनियम पारित किया गया है. ‘कोर्ट ऑफ वार्ड्स’, बेतिया राज (प्राधिकरण जो पहले एस्टेट की संपत्तियों का प्रबंधन करता था) के कार्यालय के अनुसार, 9 सितंबर 2021 को राजस्व बोर्ड के सचिव के समक्ष संपत्तियों का विवरण प्रस्तुत किया गया था, जिसमें संबंधित एस्टेट की बिहार और उत्तर प्रदेश में कुल भूमि 15,358.60 एकड़, जिसकी कीमत 7957.38 करोड़ रुपए है. कुल 15,358.60 एकड़ भूमि में से 15,215.33 एकड़ बिहार में और 143.26 एकड़ उत्तर प्रदेश में है.



पूर्ववर्ती बेतिया राज के अधीन आने वाली भूमि के एक बड़े हिस्से पर वर्षों से अतिक्रमण है. बिहार के जिन जिलों में बेतिया राज की जमीन स्थित है, उनमें पश्चिमी चंपारण (9758.72 एकड़), पूर्वी चंपारण (5320.51 एकड़), गोपालगंज (35.58 एकड़), सीवान (7.29 एकड़), पटना (4.81 एकड़), सारण (88.41 एकड़) शामिल हैं. उत्तर प्रदेश के जिन शहरों में बेतिया रात की जमीन स्थित है, उनमें कुशीनगर (61.16 एकड़), महाराजगंज (7.53 एकड़), वाराणसी (10.13 एकड़), गोरखपुर (50.92 एकड़), बस्ती (6.21 एकड़), प्रयागराज (4.54 एकड़), अयोध्या (1.86 एकड़) शामिल हैं.



बेतिया राज के अंतिम राजा हरेंद्र किशोर सिंह की मृत्यु 26 मार्च 1893 को बिना किसी उत्तराधिकारी के हुई, उनकी दो पत्नियां महारानी शिव रत्ना कुंवर और महारानी जानकी कुंवर थीं.महारानी शिव रत्ना कुंवर राजा हरेंद्र किशोर सिंह की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति की उत्तराधिकारी बनीं लेकिन 24 मार्च 1896 को उनकी मृत्यु हो गई. इसके बाद महारानी जानकी कुंवर संपत्ति उत्तराधिकारी बनीं. चूंकि ये पाया गया कि महारानी जानकी कुंवर संपत्ति का प्रशासन करने में सक्षम नहीं थीं, इसलिए इसका प्रबंधन ‘कोर्ट ऑफ वार्ड्स’ ने अपने हाथ में ले लिया.

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