सिटी पोस्ट लाइव : लैंड फॉर जॉब्स मामले में तेजस्वी यादव की मुश्किल बढ़ गई है.सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने तेजस्वी यादव के खिलाफ केस चलाने की अनुमति दे दी है. 4 अक्टूबर को लालू यादव और राबड़ी देवी के साथ तेजस्वी यादव को भी कोर्ट में पेश होकर सफाई देनी है.चार्जशीट एक्सेप्ट होने के बाद साफ हो गया है कि अब बिहार के डिप्टी सीएम भ्रष्टाचार के केस में आरोपी होंगे.बिहार में इसके कानूनी पहलू से ज्यादा सियासी नफा-नुकसान पर चर्चा शुरू हो गई है. चर्चा इस बात की भी है कि 2017 में IRCTC के मनी लॉन्ड्रिंग केस में तेजस्वी यादव का बस नाम भर आने से नीतीश कुमार गठबंधन तोड़कर अलग हो गए थे. अब मामला चार्ज फ्रेम होने तक पहुंच गया है, तो क्या एक बार फिर से बिहार में सत्ता का समीकरण बदलेगा?
बीजेपी जहां इसके लिए लालू परिवार और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को दोषी बता रही है तो आरजेडी और जेडीयू इसे चुनाव से पहले का हथकंडा बता रही है.राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इस केस में तेजस्वी यादव को जितना घसीटा जाएगा, उतना ही उन्हें इसका राजनीतिक फायदा मिलेगा. लैंड फॉर जॉब्स मामले में तेजस्वी यादव का कोई लेना-देना नहीं है. इसमें लालू प्रसाद यादव संलिप्त हैं, ये सभी को पता है. तेजस्वी यादव लगातार इस बात को भुनाते रहे हैं कि महागठबंधन को घेरने के लिए बीजेपी ये हथकंडे अपना रही है.अगर इस वक्त तेजस्वी यादव पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई होती है तो उनके समर्थक उनके पक्ष में लामबंद हो जाएंगे.
चारा घोटाले के बाद लालू परिवार के लिए लैंड फॉर जॉब्स मामला गले की फांस बन सकता है. इसमें लालू परिवार के कई सदस्य कानून के शिकंजे में आ रहे हैं. ऐसे में बीजेपी अक्सर इसका इस्तेमाल लालू परिवार और नीतीश कुमार पर दबाव बनाने के लिए करती है.इस मामले में पहली कार्रवाई भी तब हुई, जब नीतीश कुमार ने 2015 में आरजेडी के साथ मिलकर महागठबंधन की सरकार बनाई थी. उसके बाद 2022 में मामले में पहली चार्जशीट दायर की गई थी.तेजस्वी यादव शुरू से कहते रहे हैं कि इस केस से उनका कोई लेना-देना नहीं है. जब ये पूरा मामला हुआ है, तब सही से उनकी मूंछे भी नहीं आई थीं. ये पूरा मामला 2004-09 के बीच का है. तब तेजस्वी यादव की उम्र 12-17 साल थी.
2009 में ललन सिंह और शरद यादव ने पीएम को ज्ञापन देकर बताया था कि किस तरह लालू यादव रेलवे में लोगों को नौकरी देने के बदले जमीन लिखवा रहे हैं. न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी के फ्लैट के मालिक तेजस्वी प्रसाद यादव कैसे बन गए हैं. ललन जी ने इसका पुख्ता प्रमाण उपलब्ध करवाया है.पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं कि लालू के बाद तेजस्वी यादव ही आरजेडी के सर्वमान्य नेता हैं. लालू पहले ही उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर चुके हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ने अपनी क्षमता को साबित भी किया और उनके नेतृत्व में आरजेडी बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बनी.
इसके बाद 2022 में जब नीतीश कुमार महागठबंधन में शामिल हुए तो उन्होंने भी ये घोषणा की थी कि 2025 का विधानसभा चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. ऐसे में साफ है कि विधानसभा का अगला चुनाव बीजेपी वर्सेज तेजस्वी यादव होना है. अभी तक तेजस्वी यादव की छवि एक साफ नेता की है. तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार का कोई मामला दर्ज नहीं है.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2015 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा. 243 में से 178 सीटों पर उनकी जीत हुई. करीब ढाई साल तक सरकार सही चली. इसी बीच 2017 में तेजस्वी यादव का नाम IRCTC घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग में आ गया.इसके बाद नीतीश कुमार का महागठबंधन से मोह टूट गया और बीजेपी के साथ मिलकर बिहार में सरकार बना ली. ऐसे में सवाल ये है कि क्या एक बार फिर से ऐसा होने वाला है?
लेकिन नीतीश कुमार से लेकर ललन सिंह तक कई बार बोल चुके हैं कि लालू परिवार पर दबाव बनाने के लिए इस तरह का काम किया जा रहा है.उन्हें अलग-अलग केस में फंसाया जा रहा है ताकि गठबंधन टूट जाए, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होने वाला है. एक्सपर्ट की माने तो नीतीश कुमार बीजेपी विरोधी गुटों को फ्रंट से लीड कर रहे हैं. ऐसे में 2024 तक ऐसी कोई संभावना दिखाई नहीं देती है.
अब समन वाले दिन आरोपियों को कोर्ट में पेश होना होगा. इस दौरान कोर्ट सभी आरोपियों को चार्जशीट पढ़कर सुनाई जाएगी. उनसे पूछा जाएगा क्या उन्हें आरोप स्वीकार है. इसके बाद चार्जशीट के आधार पर आरोप गठन होगा. इसी के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी.लैंड फॉर जॉब्स केस में आरोपी डिस्चार्ज एप्लिकेशन हायर कोर्ट में फाइल कर सकते हैं. वे वहां चार्जशीट को खारिज करने की अपील कर सकते हैं. अपने तर्क के आधार पर बता सकते हैं कि उन पर दायर चार्जशीट तथ्यहीन है.ऐसे मामलों में फिलहाल तुरंत गिरफ्तारी नहीं होती है. जांच के बाद चार्जशीट दायर हुई है. जब उन्हें अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है, तब अब कोर्ट के आदेश पर ही उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है. अगर वे समन की तारीख पर पेश नहीं होंगे, तब उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है.