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राजनीतिक दलों को क्यों याद रहे कर्पूरी ठाकुर.

Karpuri Thakur Jayanti

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सिटी पोस्ट लाइव : लोक सभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों को जननायक कर्पूरी ठाकुर की यद् आने लगी है. 24 जनवरी को उनकी सौंवी जन्मतिथि भी है.JDU और RJD  उन पर अपना एकाधिकार मानता है.लेकिन  इसबार बीजेपी भी कर्पूरी की राजनीतिक विरासत में अपना हिस्सेदारी चाहती है.कर्पूरी की विरासत वोट बैंक के रूप में 36 प्रतिशत से अधिक की अति पिछड़ी जातियों की आबादी है, जिसकी मदद से कोई भी दल अपराजेय हो सकता है. इसी आबादी के बल पर लालू प्रसाद 15 साल शासन में रहे और  नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में अपरिहार्य बने हुए हैं. यह आबादी उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक पूंजी भी है.

2005 के बाद यह धारणा बनी कि नीतीश कुमार जिधर रहेंगे, अति पिछड़ी जातियां उनके साथ चलेंगी. 2023 के जाति आधारित गणना के बाद नीतीश ने अति पिछड़ी जातियों का आरक्षण कोटा बढ़ा कर इस धारणा को और मजबूत किया है.  जदयू ने पहले तय किया था कि वह सौवीं जन्मतिथि पर बड़ा कार्यक्रम करेगा, लेकिन कड़ाके की ठंड के नाम पर उसने कार्यक्रम टाल दिया. JDU  समारोह वेटनरी कॉलेज मैदान में करेगा. बड़ी रैली  की तैयारी शुरू हो गई है.

RJD ने भी पहले की तुलना में बड़े कार्यक्रम की तैयारी की है. 22 जनवरी को पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल में कार्यक्रम करने जा रहा है.भाजपा पहली बार मैदान में उतर कर कर्परी के नाम पर समारोह आयोजित कर रही है.  वीरचंद पटेल पथ स्थित मिलर स्कूल मैदान में बीजेपी समारोह आयोजित करेगी.बीजेपी की चुनौती ये है कि इसी दिन राम मंदिर के उद्घाटन का कार्यक्रम भी है. उसे एकसाथ एकी दिन दोनों समारोह को सफल बनाने की चुनौती है.

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