कांग्रेस से इतने क्यों खफा है नीतीश कुमार?

City Post Live

 

सिटी पोस्ट लाइव : विपक्ष की गोलबंदी के लिए पहल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की.उन्होंने विपक्षी एकता की पहली बैठक पटना में कराई. सूत्रधार की भूमिका उन्होंने निभाई लेकिन ड्राइविंग सीट पर कब्ज़ा कर लिया कांग्रेस ने. विपक्षी दलों की पटना में हुई पहली बैठक के बाद दो और बैठकें बेंगलुरु और मुंबई में हुईं, लेकिन उसमें नीतीश की मेहनत को किसी भाव नहीं दिया.उन्हें विपक्षी गठबंधन में जो सम्मान मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला. विपक्षी एकता का नेतृत्व नीतीश के बजाय अब कांग्रेस करेगी, इसका आभास तो पटना की बैठक में ही मिल गया था. लेकिन इस तरह से नीतीश कुमार को दरकिनार कर दिया जाएगा, इसकी उम्मीद किसी ने नहीं की थी.

 

 नीतीश के हाथ में जब तक विपक्षी एकता की कमान रही, उनका चिंतन-मनन में जुटे नजर आते थे.कांग्रेस ने जब से कमान संभाली है, विपक्षी एकता सिर्फ नाम के लिए दिख रही है, व्यवहार में इसका शीराजा बिखरता दिखता है.यहीं वजह है कि सीपीआई के सम्मेलन में कांग्रेस के प्रति नीतीश का  गुस्सा खुलकर सामने आ गया.भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के ‘भाजपा हटाओ, संविधान बचाओ’ कार्यक्रम में नीतीश कुमार शामिल हुए तो विपक्षी एकता की दिशा में ठप पड़े काम को लेकर उनके मन में भरे गुस्से का गुबार फूट गया. उन्होंने जिस तरह कांग्रेस पर लांछन लगाया कि उसे तो सिर्फ पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव ही प्राथमिकता में दिखते हैं, उससे स्पष्ट है कि विपक्षी गठबंधन के हिमायती नीतीश कुमार को सबसे अधिक चिढ़ कांग्रेस से हो गई है.

 

 आने वाले समय में नीतीश अगर विपक्ष के साथ बने रहते हैं तो इसके पीछे कोई मजबूरी ही हो सकती है, वर्ना मौजूदा मिजाज देख कर तो यही लगता है कि विपक्षी गठबंधन की कामयाबी पर उन्हें संदेह है.नीतीश के मन में कांग्रेस के प्रति गुस्से का सिर्फ यही कारण नहीं है कि विपक्षी एकता की दिशा में कोई काम नहीं हो रहा. सच तो यह है कि नीतीश घर और बाहर चारों ओर से घिर चुके हैं. भाजपा का साथ छोड़ कर उन्होंने आरजेडी का हाथ पकड़ा, लेकिन आरजेडी के नेता जिस तरह उन्हें जलील करते रहे, उससे भी नीतीश के मन में भारी गुस्सा है.

 

बिहार में बड़ी संख्या में हुई शिक्षकों की नियुक्ति को जब आरजेडी के नेताओं ने अपने आला नेता तेजस्वी यादव की तारीफ के पुल बांधने शुरू किए तो आजिज आकर नीतीश को अपनी जुबान खोलनी पड़ी. उन्होंने आरजेडी कोटे के दो मंत्रियों को नसीहत दे डाली कि यह उपलब्धि किसी व्यक्ति या एक दल की नहीं, बल्कि सरकार की है. इसलिए गलत प्रचार न करें.महागठबंधन की सरकार के मुखिया बनने के बाद कांग्रेस से नीतीश की तनातनी पहले इतनी कभी नहीं दिखी.

 

कांग्रेस ने बिहार के पहले सीएम श्रीकृष्ण सिंह की जयंती मनाई और पटना में रहते हुए नीतीश कुमार उस कार्यक्रम में नहीं गए. कांग्रेस ने लालू प्रसाद यादव को बुलाया. विपक्षी एकता की कमान कांग्रेस ने अपने हाथ में ले तो ली, लेकिन सीट शेयरिंग का अभी तक फार्म्युला नहीं बन पाया. पहले तो इस मामले में चुप्पी रही, लेकिन कांग्रेस ने बाद में साफ कर दिया कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद ही इस पर काम होगा. यानी दिसंबर या उसके बाद ही कांग्रेस फार्मूला बनाएगी. तब तक लोकसभा चुनाव में तीन-चार महीने ही बचेंगे.

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