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मोदी से बढ़ रही है KCR की जदीकियों के पीछे वजह क्या?

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सिटी पोस्ट लाइव : एक तरफ  विपक्षी एकता की मुहीम चल रही है तो दूसरी तरफ बीजेपी इस मुहीम के मुकबले की तैयारी में जुट गई है. कभी विपक्ष की एकता के लिए हाथ-पैर मारनेवाले केसीआर बीजेपी के करीब आते दिखाई दे रहे हैं. मणिपुर की स्थिति पर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में केसीआर ने पार्टी की ओर से अपना प्रतिनिधि भेजा.बीआरएस की ओर से वरिष्ठ नेता पूर्व सांसद बी विनोद को मीटिंग में शामिल हुए. पिछले दो साल से केसीआर और उनकी पार्टी केंद्र की बैठकों से नदारद रही थी.केसीआर  कुछ दिन पहले तक खुद बीजेपी के खिलाफ संभावित थर्ड फ्रंट की अगुवाई कर रहे थे. लेकिन अब उनका फोकस विपक्षी एकता से हटकर पूरी तरह तेलंगाना विकास मॉडल पर शिफ्ट हो गया है.

 

केसीआर का यह बदला-बदला रूप पिछले दिनों नागपुर में देखने को मिला था. अक्सर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधे निशाने पर लेने वाले केसीआर ने 15 जून को नागपुर में हुए पार्टी के एक इवेंट में पीएम को ‘अच्छा मित्र’ करार दिया था.शुक्रवार को जब पटना में विपक्ष की बैठक चल रही थी, तब केसीआर के बेटे और तेलंगाना के मंत्री केटी रामाराव दो दिन के दौरे पर दिल्ली गए थे. यहां वह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मिले और गृह मंत्री अमित शाह के साथ मीटिंग शेड्यूल की.

 

नवंबर 2020 के बाद से बीआरएस की ओर से कोई नेता केंद्र सरकार की  एक भी सेंट्रल मीटिंग में कभी शामिल नहीं हुआ था.सूत्रों का कहना है कि दिल्ली शराब नीति घोटाले में केसीआर की बेटी के कविता का नाम सामने आने को भी बीआरएस के बीजेपी के प्रति नरमी बरतने के पीछे वजह माना जा रहा है. प्रवर्तन निदेशालय ने के कविता से दो बार पूछताछ की और दो आरोपपत्रों में उनका नाम शामिल किया. इसके अलावा उनकी संभावित गिरफ्तारी की भी खबरें थीं. हालांकि, अप्रैल में दाखिल तीसरी चार्जशीट में उनका नाम हटा दिया गया था.

 

तेलंगाना में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में बीआरएस के साथ बीजेपी की कथित नजदीकी पार्टी के लिए परेशानी का कारण बन सकती है. बताया जा रहा है कि हाल ही में बीजेपी में शामिल होने वाले कोमाटिरेड्डी राजगोपाल रेड्डी और एटाला राजेंदर कांग्रेस में जाने पर विचार कर रहे हैं.

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