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BJP के साथ क्या हुई है डील, नीतीश को क्या मिलेगा?

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सिटी पोस्ट लाइव : राजनीति में कोई स्थाई  शत्रु और मित्र  नहीं होता है, इसका उदाहरण एक बार फिर बिहार में सिद्ध होता दिख रहा है. एनडीए को छोड़कर महागठबंधन के साथ सरकार बनाने के बाद भाजपा लगातार दावे करती रही कि वह अब कभी नीतीश कुमार के साथ नहीं आएंगे. वहीं नीतीश भी यही दोहराते करते रहे कि वे मर जाएंगे, लेकिन भाजपा के साथ नहीं आएंगे.लेकिन अब नीतीश कुमार बीजेपी के साथ सरकार बनाने जा रहे हैं.

बिहार में एनडीए के सहयोगी दल जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM), चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), पशुपति कुमार पारस की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक जनता पार्टी (RLJD) हैं। इनमें से पशुपति कुमार पारस को छोड़ दें तो बाकी तीनों की नीतीश कुमार से पहले भी अदावत ठन चुकी है. नीतीश कुमार के साथ पूर्व में सरकार में शामिल रहे सहयोगी दल इतनी आसानी से मान जाएंगे इस पर भी संशय की स्थिति बनी हुई थी, लेकिन कहा जा रहा है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्‍व के समझाने पर वे भी मान गए हैं.

जीतन राम मांझी की बात करें तो नीतीश कुमार उन्हें सीएम बनाकर गद्दी से उतार चुके हैं.  जीतन राम यह कहते रहे हैं कि नीतीश उन्हें कठपुतली सीएम बनाकर खुद सरकार चलाना चाह रहे थे इसलिए उन्होंने खुद ही पद से इस्तीफा दे दिया.कुछ समय पहले की बात करें तो महागठबंधन का हिस्सा रही HAM को जदयू ने विलय करने ऑफर दिया था, लेकिन ‘हम’ ने उसे ठुकरा दिया था. तत्कालीन जदयू राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जीतन राम मांझी की पार्टी को ‘छोटी दुकान’ तक कह दिया था. इसके बाद ‘हम’ ने एनडीए के साथ आने का फैसला किया.

पिता रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद जब बेटे चिराग पासवान ने पार्टी की जिम्मेदारी संभाली तो उन्हें भी कठिनाइयों से गुजरना पड़ा, उनका दल दो हिस्सों में बंट गया. अब भतीजे चिराग और चाचा पशुपति पारस की आपस में नहीं बनती, लेकिन भाजपा की वजह से दोनों साथ हैं. 2020 में चिराग नीतीश कुमार की वजह से अलग हो गए थे. हालांकि, भाजपा से उनका कोई बैर नहीं था. चिराग कई बार खुल मंच से नीतीश कुमार पर आरोप लगा चुके हैं कि वे उनके पॉलिटिकल करियर की हत्या करना चाहते हैं.

रालोजद प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की बात करें तो वे भी नीतीश कुमार की पार्टी में अपना विलय कराने के बाद फिर से अलग हो गए और फिर से अपने दल की स्थापना की. लंबे समय तक उन्होंने राजद के साथ सत्ता में बने रहने पर असहज महसूस किया. उन्होंने यहां तक दावा किया कि अब जदयू का अस्तित्व समाप्त हो रहा है. जदयू के नेता अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं. अब फिर एनडीए में इन नेताओं के साथ आने की बात कही जा रही है.बिहार में सरकार बनाने का जादुई आंकड़ा 122 है, वहीं भाजपा और एनडीए के सहयोगी दलों के साथ कुल 82 विधायक के साथ नीतीश को समर्थन देने को तैयार है. एनडीए सरकार में क्‍या समीकरण होंगे यह भी लगभग तय हो चुका है.

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