बिहार के इन शिक्षकों ने किया बिहार को गौरवान्वित

Manshi Sah

सिटी पोस्ट लाइव

पटना: आजकल जब हम सफलता की कहानियों की बात करते हैं, तो बिहार के इन शिक्षकों की प्रेरक यात्रा बिना किसी संकोच के सामने आती है। इन शिक्षकों ने अपनी अनगिनत मुश्किलों को पार करके ना सिर्फ अपने राज्य, बल्कि पूरे देश को गर्व महसूस कराया है। उनकी मेहनत, समर्पण और मानवता की भावना ने उन्हें न केवल शिक्षा के क्षेत्र में एक नई दिशा दिखायी, बल्कि लाखों छात्रों के जीवन में सकारात्मक बदलाव भी लाया। बिहार के ये शिक्षक अब राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति से सम्मानित हो चुके हैं, और यह उनकी उपलब्धियों का प्रतीक है।

आरके श्रीवास्तव पहुंचे राष्ट्रपति भवन

इस बार, बिहार के रोहतास जिले के बिक्रमगंज से एक छोटे से गाँव के लड़के ने अपनी कड़ी मेहनत और जुनून से अपने सपनों को साकार किया। यह कहानी है शिक्षक आरके श्रीवास्तव की, जिन्होंने अपनी अनोखी शिक्षा पद्धति से सैकड़ों छात्रों को IITIAN बनाया और अब वह राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ अपनी उपलब्धियों का जश्न मना रहे हैं।

आरके श्रीवास्तव, जिनका पूरा नाम रजनी कांत श्रीवास्तव है, ने मात्र एक रुपये की फीस में सैकड़ों गरीब बच्चों को IIT की तैयारी करवाई और यह साबित किया कि अगर मेहनत और ईमानदारी से काम किया जाए, तो कोई भी सपना बड़ा हो सकता है। उनके प्रयासों से आज वह एक प्रेरणास्त्रोत बन चुके हैं और उनकी शैक्षणिक पद्धति को देश भर में सराहा जा रहा है।

आरके श्रीवास्तव का मानना है कि उनका प्रयास ही है, जो आज वह न केवल छात्रों के जीवन में बदलाव ला रहे हैं, बल्कि उनके परिवारों की दुआओं के कारण उन्हें यह पहचान मिल रही है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि उनकी शैक्षणिक पद्धति की सराहना देश की राष्ट्रपति से हो रही है, जो उनके लिए एक गौरवमयी अनुभव है।

सुपर 30 की प्रेरक यात्रा

बिहार के गणितज्ञ और सुपर 30 के संस्थापक आनंद कुमार को भी हाल ही में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें यह प्रतिष्ठित पुरस्कार दिया, और इस मौके पर आनंद कुमार ने अपने जीवन के संघर्षों और सुपर 30 की शुरुआत की प्रेरणा साझा की। उनका जीवन कभी आसान नहीं था, लेकिन उनके दृढ़ निश्चय और कड़ी मेहनत ने उन्हें सफलता दिलाई। उन्होंने बताया कि कैसे उनके पिता के निधन के बाद परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए उन्होंने पापड़ बेचने तक का काम किया। बाद में उन्होंने देखा कि कई प्रतिभाशाली छात्र संसाधनों की कमी के कारण अपनी पढ़ाई नहीं कर पाते। इसी विचार से उन्होंने सुपर 30 की शुरुआत की, जिसमें वह हर साल 30 गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देते हैं। आनंद कुमार ने कभी भी सुपर 30 के लिए चंदा नहीं लिया और हमेशा अपनी मेहनत से पैसे जुटाकर बच्चों को पढ़ाया।

प्रोफेसर एचसी वर्मा को पद्मश्री से सम्मानित किया गया

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर के प्रोफेसर एचसी वर्मा को भी उनके विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार मिला। एचसी वर्मा का नाम भारतीय छात्रों के लिए आरडी शर्मा के जैसे ही प्रसिद्ध है। उनकी पुस्तक ‘कंसेप्ट्स ऑफ फिजिक्स’ ने लाखों छात्रों को भौतिकी के कठिन सवालों को समझने में मदद की।

पद्मश्री मिलने के बाद, सोशल मीडिया पर छात्रों ने अपनी स्कूल की यादों को ताजा किया और प्रोफेसर वर्मा की किताब को एक पवित्र ग्रंथ की तरह सराहा। ट्विटर पर कई मीम्स के जरिए छात्रों ने उनकी भौतिकी में समस्याओं को रचनात्मक रूप से साझा किया और उनके शिक्षण के अनोखे तरीके को याद किया।

इन सभी शिक्षकों ने न केवल शिक्षा के क्षेत्र में बल्कि समाज में भी एक नई दिशा दिखायी है। उनकी मेहनत और समर्पण ने न केवल उनके छात्रों के जीवन को बदल दिया, बल्कि पूरे बिहार को गर्व महसूस कराया है। यह सभी शिक्षक शिक्षा के प्रति अपनी निष्ठा और दृढ़ नायक के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं।

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