राहुल गांधी के लिए संसद का रास्ता बंद, अब क्या करेगी कांग्रेस?

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सिटी पोस्ट लाइव : मोदी सरनेम पर टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि केस में राहुल गांधी को गुजरात हाई कोर्ट से भी तगड़ा झटका लगा है. निचली अदालत से सजा के बाद राहुल गांधी हाईकोर्ट गये थे.लेकिन हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही थार दिया है. राहुल गांधी की संसद सदस्यता वापस नहीं मिलेवाली. 2024 या 2029 का चुनाव भी वो नहीं लड़ पायेगें. कांग्रेस ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का ऐलान कर दिया है.

 

हाई कोर्ट के फैसले के बाद अब राहुल गांधी के राजनीतिक भविष्य पर सवालिया निशान लग गया है. किसी सांसद, विधायक या एमएलसी को किसी मामले में 2 साल या उससे ज्यादा की सजा होती है तो उसकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से खत्म हो जाती है. इतना ही नहीं, सजा की अवधि पूरी होने के 6 साल बाद तक संबंधित नेता चुनाव भी नहीं लड़ पाएगा.. हाई कोर्ट की सिंगल जज बेंच का फैसला है तो बड़ी बेंच में जाने की गुंजाइश बनी ही हुई है. अगर राहुल गांधी की सजा पर सुप्रीम कोर्ट या फिर हाई कोर्ट की बड़ी बेंच से रोक लग जाती है तो उनकी संसद सदस्यता बहाल होने का रास्ता खुल सकता है.

 

लोकसभा चुनाव में अब सालभर से कम वक्त है. लालू यादव इशारों-इशारों में राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बता चुके हैं.पटना में विपक्षी एकता की बैठक में उन्होंने कहा था- ‘दूल्हा’ बनने के लिए तैयार रहिए, हम सभी बाराती बनेंगे. अब प्रधानमंत्री बनना तो दूर राहुल गांधी के 2024 चुनाव लड़ने पर ही ग्रहण लग गया है. 2024 ही क्यों, अगर ऊपरी अदालत से राहत नहीं मिली तो नियमों के मुताबिक वह 2029 का चुनाव तक नहीं लड़ पाएंगे. ऐसी स्थिति में राहुल गांधी क्या करेंगे? उनके संसद में पहुंचने का रास्ता तो फिलहाल पूरी तरह बंद नजर आ रहा है. अगर उन्हें सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली तो कांग्रेस इस मुद्दे पर जनता की सहानुभूति हासिल करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी. इसके लिए माहौल बनाने की खातिर पदयात्रा, मार्च या देशभर में जनसंपर्क जैसी मुहिम चला सकती है. दूसरी तरफ बीजेपी भी इसे काउंटर के लिए ‘ओबीसी के अपमान’ का कार्ड खेलेगी.

 

राहुल गांधी र चुनाव तो नहीं भी लड़ पायेगें लेकिन चुनाव प्रचार की बागडोर तो संभाल ही सकते हैं. लेकिन सबसे बड़ा सवाल – तो क्या प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस की दावेदारी भी खत्म हो जाएगी? नहीं. सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी पीएम पद के लिए अपनी दावेदारी तो नहीं ही छोड़ेगी खासकर तब जब कर्नाटक में जबरदस्त जीत के बाद उसका जोश सातवें आसमान पर है. पीएम पद के लिए वह राहुल गांधी की जगह पर किसी और चेहरे को आगे करेगी. प्रियंका गांधी वाड्रा वो चेहरा हो सकती हैं.गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के बाद प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट कर हुंकार भी भर दी है- सत्य की जीत होगी, जनता की आवाज जीतेगी.

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