सिटी पोस्ट लाइव : देर रात जागना और देर सुबह तक सोनेवालों के लिए एक बड़ी चेतावनी है. एक ताजा अध्ययन के अनुसार, देर रात तक सोने और लेट से जागने वाले व्यक्तियों में अस्वास्थ्यकर आदतों के कारण जल्दी मौत का खतरा अधिक हो सकता है. फिनिश इंस्टीट्यूट ऑफ ऑक्यूपेशनल हेल्थ के शोध में 1981 से 2018 तक लगभग 24000 जुड़वां बच्चों को शामिल किया गया. प्रतिभागियों को खुद को सुबह के लोगों, शाम के लोगों या बीच के समय में सोने वालों के रूप में पहचानने के लिए कहा गया था.
शोध ने डेटा को शिक्षा, शराब के उपयोग, धूम्रपान, बॉडी मास इंडेक्ट और नींद की अवधि जैसे कारकों के अनुसार एडजस्ट किया गया. अध्ययन में पाया गया कि मुख्य रूप से तम्बाकू और शराब के अधिक सेवन के कारण रात में जागने वाले लोगों को सुबह उठने वाले लोगों की तुलना में जल्दी मृत्यु का जोखिम लगभग 9% बढ़ जाता है. मिनेसोटा के रोचेस्टर में मेयो क्लिनिक में सेंटर फॉर स्लीप मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉ. भानु प्रकाश कोल्ला ने कहा कि शराब के अलावा अन्य संभावित कारकों में लोगों को काम या स्कूल के लिए जल्दी उठने की आवश्यकता होती है. ऐसे में लोग कम सोते हैं और नींद की कमी जोखिम को बढ़ा सकती है.
पिछले अध्ययनों से पता चला है कि रात में जागने वालों को पुरानी बीमारियों जैसे कि टाइप-2 डायबिटीज और हार्ट संबंधी बीमारियों का खतरा अधिक होता है. वे शारीरिक रूप से कम सक्रिय होते हैं. इनका एरोबिक फिटनेस का स्तर कम होता है और इंसुलिन रेजिस्टेंस काफी ज्यादा बढ़ जाता है. रात में जागने वाले लोगों में रिस्क लेने की प्रवृति भी ज्यादा होती है. वे नाश्ता छोड़ देते हैं, दिन में बाद में अधिक खाते हैं और इससे शरीर में वसा के स्तर काफी अधिक बढ़ जाता है.
स्लीप मेडिसिन विशेषज्ञों का सुझाव है कि जीवन शैली को बदलना काफी जरूरी है. जैसे कि सुबह में खुद को तेज रोशनी में अचानक उजागर करने से बचना चाहिए. रात में ब्राइट स्क्रीन के संपर्क को सीमित करना चाहिए और जल्दी खाना खा लेना चाहिए. यह नींद के समय को बदलने में भी मदद कर सकता है. अगर रात में जागना आपको परेशान करता है तो कई ऐसी चीजें हैं, जो आप रात से दिन में स्विच कर सकते हैं. हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि व्यक्ति अपनी जन्मजात नींद के क्रम को पूरी तरह से नहीं बदल सकता है.
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