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बांका में गुंडा बैंकों की दरिंदगी, एक परिवार को कर दिया जान देने को मजबूर.

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के  बांका जिले के अमरपुर प्रखंड के बलुआ गांव में एक परिवार के 5 सदस्यों ने एकसाथ अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली है.आर्थिक तंगी और कर्ज और गुंडा बैंकों की प्रताड़ना से तंग आकर  जहर खाकर अपने जीवन का अंत करने की कोशिश की..सभी को इलाज के लिए भागलपुर के मायागंज अस्पताल रेफर किया गया जहां परिवार के मुखिया कन्हाय महतो (40) और उसकी पत्नी की मौत हो गई. अन्य 4 सदस्यों की स्थिति बहुत अधिक गंभीर है.अस्पताल में भर्ती लोगों में  पुत्री सरिता कुमारी( 16), पुत्र धीरज कुमार( 12),पुत्र राकेश कुमार (8) शामिल हैं.

 

स्थानीय लोगों के अनुसार  घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी.दो तीन प्राइवेट बैंक से ग्रुप लोन लिया था.इस कारण बराबर पैसे की वसूली के लिए बैंक कर्मियों का आना जाना होता था. तगादे से तंग आकर परिवार के सभी सदस्यों ने जान देने का फैसला लिया. मृतक कन्हाय महतो ओटो चलाकर परिवार का भरण-पोषण करता था। फिलहाल घर मे कोई नहीं है.परिजनों के मुताबिक कन्हैया लाल महतो पर 20 लाख रुपये से अधिक का कर्ज चढ़ गया था.उसके घर पर ही सामाजिक स्तर पर सूद पर कर्ज देने वाली महिला विकास समितियों से जुड़े ग्रुप की बैठक हुआ करती थी. कन्हैया उन समितियों से कर्ज ले रखा था, दूसरों को भी दिला रखा था.इन समितियों से ज्यादा नाता उसकी पत्नी गीता देवी का था। अमरपुर-भागलपुर में सक्रिय कई सूदखोर महाजनों का भी कर्ज उसके ऊपर चढ़ गया था.

 

ये वही सूदखोर महाजन हैं जो दो हजार रुपये को दो लाख चंद माह में बना कर्जदार को मौत की तरफ ढकेलने को विवश कर देते हैं. पहले उनके खेत-मकान, जेवर-जेवरात लेते फिर रोज गाली-गलौज मारपीट कर उसे आत्महत्या करने को मजबूर कर देते हैं. कन्हैया भी ऐसे सूदखोर महाजनों के चंगुल में फंस चुका था.रोज महाजन उसके घर पहुंचते, उससे गाली-गलौज करते। पत्नी-बच्चों के सामने जलील करते थे.टोटो चलाकर जो दो-तीन सौ रुपये वह शाम तक कमा कर लौटता, महाजन उसे भी मारपीट कर छीन लिया करते थे. इंदिरा आवास से बना पक्का का मकान था जिसमें तीन भाइयों का परिवार रहता था.

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