तेजस्वी के ताजपोशी को लेकर अटकलें तेज, जानिये इनसाइड स्टोरी.

City Post Live

सिटी पोस्ट लाइव : RJD सुप्रीमो लालू यादव दिल्ली से पटना पहुंच चुके हैं. लालू यादव के पटना पहुंचते ही एक बार तेजस्वी की ताजपोशी की खबरें सियासी गलियारे में तैरने लगी है. अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर कैलकुलेशन जारी है. मगर लालू यादव का एक ही सपना है कि किसी तरह वो तेजस्वी को सीएम की कुर्सी दिला दें.

लालू यादव जब-जब पटना आते हैं, आरजेडी के पुराने कार्यकर्ताओं की आंखें चमक उठती है.जब से तेजस्वी यादव को लालू यादव ने राजपाट दे दिया तब से उम्मीदें और बढ़ गई है. अब तो कई स्तर पर नीतीश कुमार ने भी छूट दे दी है. मगर वो ‘आजादी’ नहीं मिल रही. अब भी कुछ न कुछ बंदिशें जरूर हैं. आरजेडी के नेताओं-कार्यकर्ताओं को तो सबकुछ खुल्लम-खुला चाहिए. लालू यादव को भी ‘कंजूसी’ की आदत नहीं रही है. वैसे, लालू यादव को किसी बात की परेशानी नहीं है. सहमति से ही नीतीश कुमार की सरकार चल रही है. मगर पावर से ज्यादा ‘कुर्सी’ में दिल अटक गया है.

कहने को तो बिहार में नीतीश कुमार की सरकार है, लेकिन नीतिगत फैसलों पर डिप्टी सीएम और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की छाप साफ दिखाई दे रही है. जिन बातों से नीतीश कुमार दूर भागते रहे हैं, अब वे अपने ही फैसले पलटने लगे हैं. इसी से ये लगने लगा है कि बिहार में कहने को भले नीतीश कुमार सरकार चला रहे हैं, लेकिन फैसले वे लालू और तेजस्वी यादव की सहमति से ले रहे हैं.राजनीतिक विश्लेषक इसे चुनाव के मौसम में सरकार के तरकश से निकले हुए तीर बता रहे हैं. अनुमान लगाया जाता है कि तेजस्वी यादव को बिहार में स्थापित करने के लिए नीतीश कुमार ऐसा कर रहे हैं. लालू यादव तक नीतीश कुमार यही मेसेज पहुंचा भी रहे हैं कि 2025 के बाद तो सबकुछ तेजस्वी जी का ही है.

नीतीश कुमार बार-बार लालू यादव को संकेत दे रहे हैं कि उनकी (तेजस्वी) हर सलाह को अमल में ला रहे हैं. नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय राजनीति में अपनी जो भूमिका चुनी है, उसमें राज्य चलाने का समय उन्हें शायद ही मिल पाए. इसलिए फिलहाल तेजस्वी की ताजपोशी तो नहीं होगी, लेकिन परोक्ष तौर पर सरकार वही चलाएंगे. अब तो आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद भी पटना आ गए हैं. मतलब पुराना अनुभव और नए तेवर का मिक्सचर देखने को मिल सकता है. जानकार ये भी मानते हैं कि नीतीश कुमार अब धीरे-धीरे सत्ता तेजस्वी के हाथ में सौपेंगे. लालू यादव नहीं चाहते कि दोनों हाथ से सत्ता को हथिया लें, बल्कि इसका पूरा मजा लेने के लिए वो कांटे-चमच का इस्तेमाल करना चाहते हैं.

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