सिटी पोस्ट लाइव :इसबार बिहार में लोक सभा का चुनाव बेहद दिलचस्प होगा.पिछले लोक सभा चुनाव में 39 सीटों पर जीत हाशिल करनेवाली एनडीए के सामने बड़ी चुनौती होगी क्योंकि इसबार जेडीयू महागठबंधन के साथ है.जेडीयू के पास 16 सांसद और कांग्रेस के पास एक सांसद है.महागठबंधन में आरजेडी, जेडीयू, कांग्रेस और तमाम वाम दल शामिल हैं जबकि एनडीए के साथ जीतन राम मांझी, उपेन्द्र कुशवाहा और चिराग पासवान और पशुपति पारस हैं.
बिहार चुनाव में जातीय समीकरण की अहम् भूमिका होती है. महागठबंधन तो या फिर एनडीए दोनों अपने सहयोगी दलों के बीच जातीय समीकरण के आधार पर ही सीटों का बटवारा करेगें.दोनों गठबंधन के सभी दलों की मांग बड़ी है.कोई भी दल पांच सीट से कम पर लड़ने को तैयार नहीं है.बीजेपी 30 सीटों पर लडेगी और 10 सीटों के अंदर अपने सहयोगी दलों को आराम से निबटा लेगी.लेकिन महागठबंधन में सीटों के बटवारे को लेकर घमाशान तय है.नीतीश कुमार अपनी 16 सिटिंग सीटों को छोड़ेगें नहीं और अगर जातीय समीकरण की वजह से छोड़ते भी हैं तो उसके बदले दूसरी सीटों पर दावा करेगें.आरजेडी भी जेडीयू से कम सीट पर नहीं लडेगी.ऐसे में माना जा रहा है कि आरजेडी-जेडीयू के बीच 15-15 सीटों पर समझौता हो सकता है .लेकिन बाकी सहयोगी दलों को 10 सीट देकर मनाना आसान काम नहीं होगा.10 सीट तो अकेले कांग्रेस पार्टी मांग रही है.वाम दलों की मांग भी बड़ी है.सीपीआई –सीपीएम एक एक सीट लेकर मान भी जाए तो माले 5 सीट से कम पर लड़ने को तैयार नहीं है.
मुकेश सहनी का अभीतक किसी दल से समझौता हुआ नहीं है.उनकी मांग भी तीन सीटों की है.कम से कम दो सीट तो वो जरुर मांगेगें.जाहिर है जिस महागठबंधन की वो तारीफ़ कर रहे हैं, वहां उनके लिए दो सीटें मिलनी मुश्किल है.ऐसे में मुकेश सहनी आखिरी समय तक इंतज़ार करेगें.जिसका पलड़ा भारी नजर आएगा, उसके साथ चले जायेगें.दरअसल, दोनों गठबंधन के अंदर दलों के बीच सीटों का बटवारा जातीय आधार पर ही होगा.एनडीए चाहेगा कि चिराग पासवान पासवान वोट ,उपेंद्र कुशवाहा कुशवाहा वोट और जीतन राम मांझी महादलित वोट की गारंटी लें. जाहिर है उन्हें वहीं सीटें मिलेगीं, जहाँ उनकी विरादरी का वोट ज्यादा होगा.