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ज़मीन के दाख़िल ख़ारिज़ में धांधली, जिस्टर 2 के पन्ने गायब.

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में चल रहे जमीन सर्वे को बिफल करने के लिए भू माफिया सक्रिय हो गये हैं. एक ही जमीन के कई लोगों के नाम दाखिल-खारिज होने के मामले सामने आ रहे हैं. रजिस्टर 2 के साथ भी छेड़छाड़ की बात सामने आ रही है. रजिस्टर 2 के पन्ने गायब मिल रहे हैं. कई जिलों में तो जमीन रजिस्ट्री के पुराने दस्तावेज भी गायब होने की खबरें आ रही हैं. पटना, बक्सर और भागलपुर जैसे जिलों से ऐसी शिकायतें अधिक मिल रही हैं. निबंधन विभाग इन मामलों को स्वीकार तो कर रहा है, लेकिन अब तक इस मामले में किसी प्रकार की प्राथमिकी या कार्रवाई नहीं की गयी है. विभाग अब तक केवल इन मामलों की जांच करने और दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कह रहा है.

 

जमीन सर्वे का काम शुरू होने के बाद से ही बड़ी संख्या में लोग अपनी जमीन के रजिस्टर्ड दस्तावेज की सत्यापित प्रतियां लेने के लिए निबंधन कार्यालय पहुंच रहे हैं. कई लोगों को अपने दस्तावेजों की प्रतियां नहीं मिल पा रही हैं. अभिलेखागार प्रबंधन का कहना है कि बहुत से पुराने रिकॉर्ड बहुत ही खराब हालत में हैं और उनका इंडेक्स भी नहीं है, जिसकी वजह से दस्तावेज ढूंढने में दिक्कत हो रही है. हालांकि, कुछ अवर निबंधकों ने अपनी जांच में पाया है कि कुछ पूर्व कर्मचारियों ने मिलीभगत कर के कई जमीनों के रिकॉर्ड गायब कर दिए हैं. ऐसे मामलों में संबंधित फाइलों को जब्त कर लिया गया है और उनसे जुड़े कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है.

 

लोगों की शिकायतें हैं कि  रजिस्टर-2 के कई पेज गायब हैं. मूल खातियान से भी छेड़छाड़ की गई है. सरकार की ओर से दावा किया जा रहा है कि सभी अंचलों में जमाबंदी को डिजिटाइज्स किया जा चुका है. लेकिन सैकड़ों रैयतों की ऑनलाइन जमाबंदी नहीं हो पाई है. कई रैयतों की जमीन का खाता, खैसरा, रकबा और नाम गलत है. इससे उनकी रसीद नहीं कट पा रही है. ऐसे में उन्हें दफ्तरों के चक्कर काटने पर मजबूर होना पड़ रहा है. इतनी बड़ी संख्या में गड़बड़ी हुई है कि इसे ठीक करने में कितने वर्ष लगेंगे यह बता पाना बेहद मुश्किल है. पुराने रजिस्ट्री दस्तावेजों को सुरक्षित रखने के लिए निबंधन विभाग उन्हें डिजिटाइज कर रहा है. इसके तहत 200 साल पुराने दस्तावेजों को भी डिजिटल किया जाएगा. इसके लिए 1796 से 1995 तक की अवधि के पांच करोड़ 13 लाख 48 हजार से अधिक निबंधित दस्तावेजों को चिह्नित किया गया है, जिन्हें चरणबद्ध तरीके से डिजिटाइज किया जाएगा.

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