सिटी पोस्ट लाइव : बिहार सरकार ने जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं.लेकिन ईन आंकड़ों को लेकर सवाल उठने लगे हैं. भूमिहार, ब्राह्मण, राजपूत और कायस्थ जाति के लोगों ने इस जनगणना पर सवाल खड़े कर दिए हैं. ओगों का कहना है कि जनगणना के दौरान ना तो इनसे और ना ही इनके परिवार के किसी सदस्य से किसी भी तरह कोई संपर्क इससे जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों ने नहीं किया. राजपूत की आबादी 3.45%, भूमिहार 2.86%, ब्राह्मण 3.65% और कायस्थ 0.60% है. इस तरह से सामान्य वर्ग की कुल आबादी 15 फीसदी के आसपास है.
केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय के बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह ने भी जातीय जनगणना को लेकर बड़ा हमला बोला है. सिंह ने कहा है कि इस जनगणना में बिहार की गरीब जनता में भ्रम फैलाने के सिवाय और कुछ नहीं है.मंत्री ही नहीं बल्कि कई लोगों का आरोप है खासतौर पर सवर्ण समाज से जुड़े लोगों का कि उनसे जनगणना करने वालों ने संपर्क ही नहीं किया? कई लोगों का आरोप है कि वो बिहार से बाहर रहते हैं लेकिन उनका आधार कार्ड बिहार का है.उसके ऊपर उनके गावं घर का पता है फिर जनगणना करनेवाले उनके घर क्यों नहीं पहुंचे.उनके घर तक कोई कर्मचारी या अधिकारी आंकड़ा लेने नहीं आया है.
2 अक्टूबर को गांधी जयंती के मौके पर बिहार सरकार की ओर से दो चरणों में हुए 214 जातियों के आंकड़े जारी किए गए हैं. इनमें से कई जातियां ऐसी हैं, जिनकी कुल आबादी 100 भी कम है. 214 जातियों को अलावा बिहार सरकार ने 215वें नंबर पर अन्य जातियों के लिए भी कॉलम बनाया था. आपको बता दें कि जातीय जनगणना के आंकड़ों में बिहार में पिछड़ा वर्ग की आबादी 27.12 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग की आबादी 36.01 प्रतिशत, अनुसूचित जाति वर्ग की आबादी 19.65 प्रतिशत. अनुसूचित जनजाति की आबादी 1.68 प्रतिशत, सामान्य वर्ग की आबादी 15.52 प्रतिशत दिखाई गई है.