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पटना हाईकोर्ट ने आर्म्स लाइसेंस से जुड़ा एक और महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। इस निर्णय में यह स्पष्ट किया गया है कि किस आधार पर किसी शस्त्र लाइसेंस आवेदन को खारिज नहीं किया जा सकता। खगड़िया में पेट्रोल पंप की सुरक्षा के लिए शस्त्र लाइसेंस की मांग करने वाले एक सेवानिवृत्त सैनिक की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने जिला अधिकारी के आदेश को गलत ठहराया। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि आर्म्स लाइसेंस जारी करने के लिए क्या मानक होने चाहिए।
पटना हाईकोर्ट का अहम निर्णय
पटना हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह साफ किया कि यदि कोई व्यक्ति आर्म्स लाइसेंस प्राप्त करना चाहता है, तो उसका आवेदन सिर्फ इस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता कि उसे जान का खतरा नहीं है। न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह की एकलपीठ ने रंजन कुमार मंडल की याचिका को स्वीकार करते हुए यह फैसला सुनाया।
क्या था मामला?
याचिकाकर्ता के वकील रंजीत कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि रंजन एक सेवानिवृत्त सैनिक हैं, जिन्हें केंद्र सरकार ने एक पेट्रोल पंप दिया था। खगड़िया के परबत्ता थाना क्षेत्र में हाइवे पर स्थित पेट्रोल पंप की सुरक्षा के लिए उन्होंने आर्म्स लाइसेंस के लिए खगड़िया के डीएम से आवेदन किया था। हालांकि, डीएम ने यह आवेदन खारिज कर दिया। पुलिस रिपोर्ट में यह बताया गया कि रंजन को जान का कोई खतरा नहीं है। इसके बाद, डीएम के आदेश के खिलाफ मुंगेर के आयुक्त से अपील की गई, लेकिन पुलिस रिपोर्ट के आधार पर वह अपील भी खारिज कर दी गई।
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
पटना हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि केवल जान के खतरे के आधार पर आर्म्स लाइसेंस का आवेदन खारिज नहीं किया जा सकता, यह केंद्र सरकार की नई शस्त्र नियमावली के खिलाफ है। कोर्ट ने कहा कि आवेदक के पेशे और व्यापार का मूल्यांकन करना जरूरी है, ताकि यह तय किया जा सके कि उसकी सुरक्षा के लिए शस्त्र की आवश्यकता है या नहीं।
पहले भी डीएम के आदेश को गलत बताया था
इस साल अक्टूबर में भी पटना हाईकोर्ट ने शस्त्र लाइसेंस से जुड़े एक मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था। एक मामले में कोर्ट ने कहा था कि केवल इस आधार पर किसी का आर्म्स लाइसेंस रद्द नहीं किया जा सकता कि उसके खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज है। सुपौल के डीएम ने एक व्यक्ति का आर्म्स लाइसेंस रद्द किया था, जिसे कोर्ट ने गलत ठहराया।