पशुपति पारस को लगने वाला है बड़ा झटका.
सांसद वीणा सिंह के बाद कई और सांसद भी छोड़ सकते हैं साथ,, सूरजभान भी BJP के संपर्क में .
सिटी पोस्ट लाइव : राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) के सुप्रीमो , केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस की मुस्ज्किलें बढ़ गई हैं. सांसद वीणा सिंह ने पशुपति पारस का साथ छोड़ दिया है. उन्होंने चिराग के विचारों में आस्था जताते हुए लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का दामन थाम लिया है. अब सिर्फ औपचारिकता बाकी है.सूत्रों के अनुसार दल बदल कानून के चलते उन पर पारस कार्रवाई कर सकते हैं. उनकी संसद की सदस्यता खत्म करने की अनुशंसा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से कर सकते हैं, लेकिन इसमें भी पेच है क्योंकि संसद के अंदर लोजपा के सांसदों का विधिवत विभाजन नहीं हुआ है, केवल अगल गुट की मान्यता मिली है.
रालोजपा के दो और सांसद, दर्जन भर जिलाध्यक्ष व प्रदेश पदाधिकारी तथा वरिष्ठ नेता लोकसभा चुनाव तक पारस का साथ छोड़ेंगे. ऐसे नेता RJD , JDU से लेकर BJP के संपर्क में हैं, कुछ नेता कांग्रेस व चिराग की पार्टी में जाने की राह तलाश रहे हैं. कई नेता तो पारस के कार्यक्रमों से दूरी भी बना चुके हैं. वैसे भी चिराग ने चाचा को आईना दिखाते हुए उनके खेमे की सांसद वीणा देवी को अपने पाले में लाकर उन्हें बड़ा झटका दिया है.
लोक जनशक्ति पार्टी की स्थापना दिवस पर मंगलवार को चाचा (पारस)-भतीजा (चिराग पासवान) के बीच जो शक्ति प्रदर्शन किया गया. दोनों एक-दूसरे को औकात बताने वाले अंदाज में चुनौती दे रहे हैं. तीखे होते वाक-युद्ध से जाहिर है कि दोनों ने हाजीपुर सीट को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है. चिराग ने तो चाचा को धोखेजबाज तक कहा है और हाजीपुर सीट को लेकर कोई समझौता नहीं करने का ऐलान किया है. पारस ने चिराग को उसकी हद दिखाने में गुरेज नहीं की है. पारस ने शक्ति प्रदर्शन करके भाजपा को भी यह संकेत दिया है कि हाजीपुर सीट पर उनके सिवा कोई और दावेदार नहीं है.
कभी पारस के बेहद करीबी रहे और रालोजपा के प्रधान महासचिव केशव सिंह और उनके हजारों समर्थकों ने मंगलवार को हाजीपुर में आयोजित कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी. इसकी बड़ी वजह पार्टी के अंदर बढ़ता असंतोष है. केशव सिंह ने बुधवार को पारस के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा कि पारस दलालों से घिरे हैं और उनको अपने पास रखते हैं, समर्पित नेताओं और वफादारों की उपेक्षा करते हुए शक करते हैं. पारस वनमैन शो बनकर हिटलर की तरह पार्टी चला रहे हैं. सामूहिक निर्णय लेने की परिपार्टी खत्म कर दी है.
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