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दलित वोट बैंक साधने में जुटा पक्ष-विपक्ष .

जीतन राम मांझी या चिराग पासवान को बीजेपी ने तो अशोक चौधरी को JDU ने बनाया मोहरा.

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सिटी पोस्ट लाइव :  जातीय गणना के आंकड़े जारी होने के बाद दलित कोटे के 19.65 फीसदी वोटबैंक को अपने पाले में लाने की रणनीति पर दोनो खेमों में रणनीति बनानी शुरू कर दी है. बीजेपी ने पिछले महीने ही पटना में रविदास जयंती के बहाने बिहार भर से दलित कार्यकर्ताओ को पटना में जुटान किया किया था जिसमे दलित कोटे से आने वाले  केंद्रीय मंत्री गहलोत शामिल हुए थे. आने आने वाले दिनों में बीजेपी जिला स्तर पर दलितों के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए कार्यक्रम बना रही है.

नीतीश कुमार ने जदयू के तरफ से भीम संसद के नाम से 26 नवंबर को पटना में बड़ा कार्यक्रम बनाया है जिसमे बिहार भर से 1 लाख से ज्यादा दलित वोटरों को शामिल करने का दावा किया जा रहा है. इस भीम संवाद की जिम्मेदारी अशोक चौधरी को दी गयी है. इस भीम संसद में तमाम दलित वोटरों को नीतीश द्वारा किए गए कामों को बताया जाएगा. साथ ही जातीय आंकड़े के बाद दलितों के लिए शुरू किए जाने वाले योजनाओं को बताया जाएगा और अपने पाले में लाने की कोशिश होगी.

बिहार में दलित समुदाय का 19 फीसदी वोटबैंक बिहार की सत्ता के फेरबदल और लोकसभा के 40 सीटो के लिए सबसे अहम माना जा रहा है. यही कारण है कि बीजेपी और राजद, जदयू और कांग्रेस का गठबंधन अलग अलग रणनीति बनाने में लगी है. 2024 में दलित वोटबैंक को साधने के लिए बीजेपी की तरफ से जीतन राम मांझी और चिराग पासवान महत्वपूर्ण भूमिका में होंगे. पिछले दिनों जीतन राम मांझी पर नीतीश द्वारा दिए गए बयान के बाद पीएम मोदी सहित तमाम बीजेपी नेताओं ने इसे दलित आत्मसम्मान के साथ जोड़ते हुए हमला शुरू किया है. आने वाले दिनों में चिराग पासवान भी बिहार भर में दलित वोटबैंक को साधने के लिए घूमना शुरू करेंगे.

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