बिहार में पिछले 35 साल से OBC की हुकूमत.

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सिटी पोस्ट लाइव  : जाति आधारित गणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद आबादी के हिसाब से सत्ता में  हिस्सेदारी की मांग उठने लगी है. बिहार में सत्ता के शीर्ष पर विगत 76 वर्षों में 35 वर्ष 89 दिन पिछड़ा व अति पिछड़ा वर्ग के लोग रहे हैं.इस दौरान सवर्ण समाज के लोग सत्ता के शीर्ष यानी मुख्यमंत्री के पद पर इनसे दो वर्ष अधिक रहे हैं. सवर्ण समाज से 37 वर्ष 197 दिनों तक मुख्यमंत्री रहे.

 

अनुसूचित जाति का प्रतिनिधित्व तीन बार जरूर हुआ, लेकिन केवल एक साल 327 दिन ही इस वर्ग के लोग मुख्यमंत्री के पद पर टिक सके.अल्पसंख्यक समाज से केवल एक बार मुख्यमंत्री बना और वह भी एक साल 283 दिन के लिए.पिछड़ा व अति पिछड़ा वर्ग की सत्ता के शीर्ष का पद विगत 35 वर्षों में सात लोगों के बीच ही रहा. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) 17 सालों से अधिक समय से मुख्यमंत्री हैं. राबड़ी देवी (Rabri Devi) सात वर्ष 190 दिनों तक मुख्यमंत्री रहीं. लालू प्रसाद सात वर्ष 130 दिनों तक मुख्यमंत्री रहे.

 

दरोगा राय (Daroga Rai) 310 दिन, सतीश प्रसाद सिंह (Satish Prasad Singh) 5 दिन तथा बीपी मंडल (B. P. Mandal) 51 दिनों तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे. सत्ता के शीर्ष पर केवल एक नाम अति पिछड़ा वर्ग से है. इनमें कर्पूरी ठाकुर (Karpoori Thakur) का नाम सबसे पहले है. वह दो वर्ष 98 दिनों तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे.37 साल में 12 सवर्ण सीएम बने.विगत 76 वर्षों में बिहार में सत्ता के शीर्ष पर सवर्ण समाज की मौजूदगी का आंकड़ा बताता है कि इस समाज के लोग 37 साल 197 दिन मुख्यमंत्री रहे, पर इनमें से केवल दो लोग ही ऐसे थे जिन्होंने पांच वर्ष से अधिक का कार्यकाल पूरा किया. शेष अधिकतम तीन वर्ष तक ही सत्ता में टिक पाए.

 

प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह ने 17 वर्ष 52 दिनों तक काम किया. दूसरे नंबर पर जगन्नाथ मिश्र का कार्यकाल है, जिन्होंने पांच वर्ष 180 दिनों तक बिहार की बागडोर संभाली.केबी सहाय तीन वर्ष 154 दिन, बिंदेश्वरी दूबे दो वर्ष 338 दिन, विनोदानंद झा दो वर्ष 226 दिन, चंद्रशेखर सिंह एक वर्ष 210 दिन, केदार पांडेय एक वर्ष 105 दिन, भागवात झा आजाद एक वर्ष 24 दिन, महामाया प्रसाद सिंह 329 दिन, सत्येंद्र नारायण सिन्हा 270 दिन, हरिहर सिंह 117 दिन तथा दीपनारायण सिंह केवल 17 दिन तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे.

 

बिहार में अनुसूचित जाति (SC) के लोगों को तीन बार मुख्यमंत्री के पद पर पहुंचने का मौका मिला, पर इनमें से किसी ने इस पद पर एक वर्ष का कार्यकाल पूरा नहीं किया. रामसुंदर दास  302 दिन, जीतनराम मांझी 278 दिन तथा भोला पासवान शास्त्री 112 दिन मुख्यमंत्री रहे. अल्पसंख्यक समाज से अब्दुल गफूर एक वर्ष 283 दिन तक मुख्यमंत्री रहे.

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