City Post Live
NEWS 24x7

2025 से पहले बिहार में नया राजनीतिक समीकरण.

-sponsored-

-sponsored-

- Sponsored -

 

सिटी पोस्ट लाइव : 2020 में नीतीश कुमार और चिराग पासवान  की तनातनी से रिश्तों पर जमी बर्फ अब पिघलने लगी है.आजकल चिराग पासवान और नीतीश कुमार की लगातार मुलाक़ात हो रही है. 2020 के  विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार को चिराग पासवान ने तगड़ा झटका दिया था. नीतीश की पार्टी जेडीयू को चिराग ने  ढाई दर्जन से अधिक सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारकर चुनाव हरवा दिया था. जेडीयू 43 विधायकों के साथ बिहार में तीसरे नंबर का दल बन गया. इसकी टीस नीतीश के भीतर तब तक उठती रही, जब तक जेडीयू ने लोकसभा की 12 सीटें जीत कर भाजपा की बराबरी नहीं कर ली.

विधानसभा चुनाव में नीतीश का बैंड चिराग ने बजा तो दिया, लेकिन इसका कोई लाभ उन्हें नहीं हुआ. उल्टे उन्हें बड़ी विपत्ति का सामना करना पड़ा. पिता रामविलास पासवान को आवंटित बंगला उनसे छिन गया. घर में ही विद्रोह हो गया. पार्टी टूट गई. चार सांसदों के समर्थन से चिराग के चाचा पशुपति कुमार पारस केंद्र में मंत्री बन गए. चिराग अकेले अपनी पार्टी के सांसद बच गए. चिराग को इस हाल में देख निश्चित ही नीतीश को सुकून मिला होगा. नीतीश के दबाव पर चिराग को एनडीए से बाहर कर दिया गया.

इस साल हुए लोकसभा चुनाव में नीतीश और चिराग के बीच जमी नफरत की बर्फ पिघली. टिकट बंटवारे के बाद चिराग का नीतीश के घर आना-जाना शुरू हुआ. नीतीश के मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी को चिराग ने अपनी पार्टी का टिकट देकर संबंधों में सुधार की शुरुआत कर दी. वे उस दौरान भी नीतीश से मिलने उनके आवास पहुंचे थे. मंत्री बनने के बाद चिराग जब बिहार दौरे पर आए तो वे नीतीश से मिलना नहीं भूले. जिस आत्मीय अंदाज में दोनों की मुलाकात की तस्वीरें सामने आईं, उससे तो यही लगता है कि चार साल से जमी बर्फ अब पिघल चुकी है.

लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद अब एनडीए के किसी घटक दल को नीतीश कुमार के नेतृत्व से एतराज नहीं है.बीजेपी  के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने अब साफ कर दिया है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में एनडीए का नेतृत्व नीतीश कुमार ही करेंगे. हालांकि, नीतीश ने भी अपनी ओर से बीजेपी को बार-बार आश्वस्त किया है कि अब वे एनडीए छोड़ कर कहीं नहीं जाने वाले. ऐसे में चिराग की नीतीश से नजदीकी बढ़ना स्वाभाविक है. चाचा नीतीश को अब भतीजे तेजस्वी यादव की कमी भी नहीं खलेगी. इसलिए कि चिराग ने भी नीतीश को अपने सगे चाचा से भी अधिक मान दिया है. लोकसभा चुनाव के दौरान चिराग ने दिल खोल कर चाचा नीतीश का साथ दिया तो चाचा ने भी चिराग के उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया. चिराग ने भले अपने सगे चाचा पारस की साथ आने की चिरौरी अनसुनी कर दी, लेकिन नीतीश के साथ वे स्वत: आ गए.

- Sponsored -

-sponsored-

- Sponsored -

Comments are closed.