एनडीए में विवाद गहराया, मांझी ने कैबिनेट छोड़ने की चेतावनी दी

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By Rahul

सिटी पोस्ट लाइव

पटना । बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए गठबंधन में मतभेद बढ़ता जा रहा है। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने अपनी पार्टी की उपेक्षा से नाराज होकर केंद्रीय कैबिनेट से इस्तीफा देने की धमकी दी है। मांझी ने कहा, “भय बिन होय न प्रीत,” और बीजेपी को अपने व्यवहार पर पुनर्विचार करने की चेतावनी दी।

मांझी की नाराजगी

जीतन राम मांझी ने मुंगेर में आयोजित भूइयां-मुशहर सम्मेलन में कहा कि एनडीए में उनकी पार्टी को लगातार अनदेखा किया जा रहा है। उन्होंने झारखंड और दिल्ली विधानसभा चुनावों का उदाहरण देते हुए कहा कि उनकी पार्टी को वहां एक भी सीट नहीं दी गई। मांझी ने सवाल उठाया, “क्या हमारी पार्टी का कोई अस्तित्व नहीं है? क्या हमारे पास जनाधार नहीं है?”

उन्होंने कहा कि जो लोग उनके जनाधार पर सवाल उठा रहे हैं, वे उनकी सभाओं में शामिल होने वाली भीड़ को देख सकते हैं। मांझी ने कहा कि वे दलित समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं और उन्हें एनडीए में उनकी पार्टी को उचित स्थान मिलना चाहिए।

कैबिनेट छोड़ने की चेतावनी

मांझी ने मंच से स्पष्ट किया कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे मजबूर होकर मोदी कैबिनेट से इस्तीफा देंगे। उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य केवल अपनी पार्टी का लाभ नहीं, बल्कि दलित समुदाय के अधिकार सुनिश्चित करना है।

भूमिहीन दलितों के लिए जमीन की मांग

मांझी ने सरकार से भूमिहीन दलित परिवारों को पांच डिसमिल जमीन देने की मांग की। उन्होंने कहा कि जब वे मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने तीन डिसमिल जमीन की योजना को बढ़ाकर पांच डिसमिल किया था। उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य की 17-18 लाख एकड़ जमीन को 12 लाख भूमिहीन परिवारों में बांटा जाए, जिससे प्रत्येक परिवार को डेढ़ एकड़ जमीन मिल सके।

20 सीटों की मांग

जीतन राम मांझी ने कहा कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ता 40 सीटें मांग रहे हैं, लेकिन वे सिर्फ 20 सीटों पर समझौता करने को तैयार हैं। उन्होंने दावा किया कि 20 सीटें जीतने पर वे दलितों के अधिकारों के लिए प्रभावी ढंग से काम करेंगे।

चिराग पासवान पर नाराजगी

मांझी, बीजेपी द्वारा चिराग पासवान को अधिक महत्व दिए जाने से नाखुश हैं। उन्होंने कहा कि भूइयां और मुशहर जाति की संख्या पासवान जाति से अधिक है, फिर भी बीजेपी चिराग पासवान की पार्टी को प्राथमिकता दे रही है। लोकसभा चुनावों में एलजेपी को पांच सीटें दी गई थीं, जबकि झारखंड और दिल्ली विधानसभा चुनावों में भी एलजेपी के लिए सीटें छोड़ी गईं।

बीजेपी के लिए चुनौती

बिहार विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर मांझी ने साफ कर दिया कि वे अपने हक की लड़ाई लड़ेंगे। बीजेपी को अपनी ताकत दिखाने के लिए उन्होंने पूरे राज्य में भूइयां-मुशहर सम्मेलन शुरू कर दिया है। मांझी की इस नाराजगी से एनडीए में खींचतान बढ़ गई है और आने वाले समय में बीजेपी के लिए यह बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।

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