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मानसून के दगा देने से बिहार में खेती पर छाया संकट.

किसानों को वैकल्पिक फसलों के लिए तैयार रहने की सलाह, धान की फसल को बचाना होगा मुश्किल.

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सिटी पोस्ट लाइव : मानसून ने बिहार को दगा दे दिया है.बिहार के हिस्से की मानसून की बारिश भी उत्तर प्रदेश में हो रही है. बिहार में गर्म हवाएं  बादलों को उड़ा ले जा रही हैं. मौसम विभाग के अनुसार  बंगाल की खाड़ी में दबाव का क्षेत्र बना हुआ है. उसका असर प्रदेश में 28 जून तक दिखाई देगा. उसके बाद राज्य में वर्षा के आसार बन सकते हैं.प्रदेश में मानसून 12 जून को दस्तक दे दिया था, लेकिन काफी दिनों तक पूर्णिया में रुका रहा.फिर एक सप्ताह बाद एक बार सक्रिय हुआ, जिससे प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में हल्की वर्षा हुई. 16 से 22 जून तक राज्य में सामान्य से 81 प्रतिशत कम वर्षा रिकार्ड की गई. इस दौरान राजधानी पटना में सामान्य से 74 प्रतिशत कम वर्षा दर्ज की गई.मौसम विभाग के अनुसार बिहार  से आगे बढ़कर मध्य उत्तर प्रदेश में भारी वर्षा करा रहा है.

मानसून की बेरुखी से बिहार के किसानों के बीच हाहाकार मचा हुआ है.कृषि प्रौद्योगिकी एवं प्रबंध अभिकरण के उप परियोजना निदेशक वृजेन्द्र मणि का कहना है कि वर्तमान में अर्द्रा नक्षत्र चल रहा है. यह नक्षत्र खेती के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है. इस दौरान लंबी अवधि वाले धान के बिचड़े की रोपनी होती है, जिसका बिचड़ा किसान रोहणी नक्षत्र में डालते हैं.वहीं कम अवधि वाले धान के प्रभेदों का अर्द्रा में किसान बिचड़ा डालते हैं. आजकल वर्षा न होने से किसान न तो धान की रोपनी कर पा रहे हैं न ही बिचड़ा डाल रहे हैं. लंबी अवधि वाले धान के प्रभेदों की जल्द रोपनी नहीं की गई तो उसका उत्पादन गिरना तय है.

फिलहाल जिस तरह राज्य में गर्मी पड़ रही है, उससे धान की रोपनी करना संभव नहीं है. अगर किसी तरह किसान धान की रोपनी कर भी दें तो उसे बचाना मुश्किल हो जाएगा.अगर 5 जुलाई तक राज्य में झमाझम वर्षा नहीं हुई तो किसानों को मोटे अनाजों का सहारा लेना होगा, क्योंकि उसके बाद धान के बिचड़ा डालने का कोई मतलब नहीं है. देर से वर्षा होने के बाद किसानों को ज्वार, बाजरा एवं अन्य मोटे अनाजों की खेती के बारे में विचार करना होगा. कुछ इलाके में मक्के की खेती भी सहायक हो सकती है.लेकिन जहाँ केवल धान की ही खेती होती है, वहां के किसान संकट में हैं.

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