कांग्रेस के घोषणा पत्र को मोदी ने बनाया बड़ा चुनावी हथियार.

City Post Live

सिटी पोस्ट लाइव :  कर्नाटक के अपने चुनावी घोषणा पात्र में कांग्रेस ने बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का वादा किया है.अब इस हमले का जबाब खुद प्रधानमंत्री मोदी दे रहे हैं क्योंकि कर्नाटक  चुनाव की बागडोर उन्होंने संभाल राखी है.बीजेपी के नेता इस बात से अधिक आहत हैं कि कांग्रेस ने विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के यूथ विंग बजरंग दल की तुलना पॉपुलर फ़्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएफ़आई) से की है.बीजेपी नेता पीएफ़आई को चरमपंथी संगठन बताते हैं, जोकि केंद्र सरकार द्वारा पहले ही पूरे देश में प्रतिबंधित है. एक दिन पहले कांग्रेस ने बीजेपी की तीखी आलोचना की थी, क्योंकि उसने अपने घोषणापत्र में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का वादा किया था.

 

पिछले पांच दिनों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर्नाटक में हर रोज़ तीन चार रैलियां कर रहे हैं. इन रैलियों में अब वो अपनी पार्टी के विकास के मुद्दे पर बात नहीं कर रहे हैं और अब उन्होंने अपना फ़ोकस हनुमान और बजरंग दल पर कर लिया है.उन्होंने कहा, “अतीत में उन्होंने भगवान राम को ताले में बंद किया था. उनको उनसे समस्या थी. अब वे उन लोगों को ताले में बंद करना चाहते हैं जो बजरंग बली का नाम लेते हैं.”उन्होंने कहा कि कांग्रेस का ताज़ा कदम “आतंकियों” के प्रति तुष्टिकरण की ही नीति का सिलसिला है.

 

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस का घोषणापत्र जारी करते हुए पांच गारंटी की बात दुहराई- 200 यूनिट तक मुफ़्त बिजली, घर की महिला मुखिया को नकद राशि, डिग्री या डिप्लोमा कर चुके लोगों को दो साल तक भत्ता, महिलाओं के लिए मुफ़्त में बस यात्रा और आरक्षण सीमा को 50% से 75% तक करना और जिस मुस्लिम कोटा को बीजेपी ने ख़त्म कर दिया, उसे बहाल करना.पार्टी ने सभी ग्राम देवियों के लिए 20,000 रुपये और राज्य के 1.8 लाख मंदिरों के लिए विशेष पूजा निधि जारी करने की भी घोषणा की है.बजरंग दल विवाद से पहले कांग्रेस नेताओं के कुछ विवादास्पद बयानों को प्रधानमंत्री मोदी ने, राज्य में 10 दिनों के अंदर 30-35 जनसभाओं वाले अपने तूफ़ानी प्रचार अभियान की 29 अप्रैल से हुई शुरुआत से ही मुद्दा बना दिया.

 

पहले खड़गे ने उन्हें “ज़हरीला सांप” कहा. तीन दिन बाद प्रियांक खड़गे, जोकि कलबुर्गी विधानसभा क्षेत्र में छित्तापुर विधानसभा क्षेत्र से खड़े हैं, ने उन्हें “नालायक बेटा” कह दिया. इन बयानों से पहले कांग्रेस राज्य के बुनियादी मुद्दों पर बात कर रही थी.इसीलिए राजनीतिक गलियारे में ये सवाल गर्म है कि क्या कांग्रेस इस चुनाव में उसी जैसे माहौल का सामना कर रही है जैसा पीएम मोदी के बारे में मणिशंकर अय्यर के ‘चायवाला’ टिप्पणी के बाद बना था.

 

अय्यर की टिप्पणी ने बीजेपी को एक ऐसा हथियार दे दिया था, जिसका इस्तेमाल करके उसने एक बड़े प्रचार अभियान में तब्दील कर दिया.ये ऐसा ही है जैसा बीजेपी ने गुजरात चुनाव में सोनिया गांधी द्वारा मोदी को “मौत का सौदागर” कहे जाने को अपने पक्ष में भुनाया.ये हैरान करने वाले बयान, चुनावी अभियान के उस दौर में आए हैं, जब बेरोज़गारी, महंगाई और ग़रीबी ने राज्य में 2019 से शासन कर रही बीजेपी के ख़िलाफ़ सत्ताविरोधी लहर को और मजबूत ही किया था.

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