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पटना। दानापुर, पटना की प्रतिभाशाली छात्रा खुशबू कुमारी के लिए एक नई आशा तब जगी जब केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उसकी मेडिकल शिक्षा की राह में आ रही आर्थिक बाधाओं को दूर करने का आश्वासन दिया। खुशबू, जो हमेशा से विज्ञान पढ़कर डॉक्टर बनने का सपना देखती थी, आर्थिक तंगी के कारण कला विषय लेने को मजबूर हो गई थी। लेकिन सोशल मीडिया पर उसकी कहानी सामने आने के बाद, मंत्री ने व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करते हुए उसे विज्ञान वर्ग में दाखिला दिलाने के लिए प्रशासन को निर्देशित किया।
आर्थिक मजबूरियों की वजह से बदला था विषय
खुशबू हेतनपुर, दानापुर की निवासी है और उसने कक्षा 10 की पढ़ाई एक स्थानीय स्कूल से अच्छे अंकों के साथ पूरी की थी। लेकिन जब 11वीं में प्रवेश का समय आया, तो उसके पिता उपेंद्र राय, जो एक दिहाड़ी मजदूर हैं, विज्ञान की पढ़ाई का खर्च उठाने में असमर्थ थे। ऐसे में परिवार ने उसे कला विषय में दाखिला दिला दिया, जिससे उसका डॉक्टर बनने का सपना अधर में लटक गया।
मीडिया से बातचीत के दौरान खुशबू ने अपनी निराशा जाहिर करते हुए कहा, “मेरा सपना सिर्फ मेरा नहीं, बल्कि मेरे पिता का भी था। लेकिन आर्थिक तंगी के कारण मुझे विज्ञान छोड़कर कला विषय लेना पड़ा। ऐसा लग रहा था जैसे मेरा सपना टूट गया।”
मंत्री ने लिया संज्ञान, दिया सहयोग का भरोसा
खुशबू की संघर्षभरी कहानी सोशल मीडिया पर वायरल होते ही केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान तक पहुंची। मंत्री ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए रविवार को एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से खुशबू और उसके माता-पिता से बातचीत की। बातचीत के दौरान मंत्री ने खुशबू के जज्बे की सराहना की और उसे हरसंभव मदद देने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, “आप एक होनहार छात्रा हैं, और आपकी शिक्षा में कोई बाधा न आए, यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है। सरकार हमेशा प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के साथ है।”
इसके साथ ही, मंत्री ने पटना के जिला अधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह को निर्देश दिया कि वे खुशबू के लिए विज्ञान विषय में प्रवेश सुनिश्चित करें और उसे सरकारी योजनाओं के तहत वित्तीय सहायता दिलवाने की प्रक्रिया शुरू करें।
परिवार ने जताया आभार, प्रशासन करेगा सहयोग
मंत्री के सहयोगात्मक रुख के बाद खुशबू और उसका परिवार राहत महसूस कर रहा है। उसके पिता उपेंद्र राय ने कहा, “मैं अपनी बेटी को डॉक्टर बनते देखना चाहता था, लेकिन आर्थिक स्थिति ने हमें सीमित कर दिया था। अब सरकार की मदद से उसका सपना साकार हो सकता है, इसके लिए मैं आभारी हूं।” खुशबू की मां चुनाक्षी देवी ने भी खुशी जाहिर करते हुए कहा, “हमने उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन अब हमें भरोसा है कि हमारी बेटी वही कर सकेगी जो वह हमेशा चाहती थी।”
पटना के जिला मजिस्ट्रेट डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने भी इस मामले को गंभीरता से लेने की बात कही। उन्होंने बताया कि दानापुर के एसडीएम और जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिया गया है कि वे खुशबू के प्रवेश की प्रक्रिया को सुचारु रूप से पूरा करें और उसे वित्तीय सहायता उपलब्ध कराएं।
प्रेरणादायक बनी खुशबू की कहानी
खुशबू का मामला उन हजारों छात्रों की स्थिति को दर्शाता है जो आर्थिक तंगी के कारण अपने सपनों से समझौता करने पर मजबूर हो जाते हैं। हालांकि सरकार छात्रवृत्ति और सहायता योजनाएं प्रदान करती है, लेकिन कई छात्रों को इन योजनाओं की जानकारी नहीं होती या फिर वे जटिल प्रक्रियाओं में उलझकर लाभ से वंचित रह जाते हैं।
अब, सरकारी सहयोग मिलने के बाद, खुशबू विज्ञान विषय में प्रवेश लेकर डॉक्टर बनने के अपने लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाने के लिए तैयार है। इस सहयोग से प्रेरित होकर उसने कहा, “अब मुझे विश्वास है कि मेरा सपना पूरा हो सकता है। मैं इस अवसर को पूरी मेहनत से भुनाऊंगी।” खुशबू की कहानी संघर्ष, संकल्प और समय पर मिली सहायता का प्रतीक बन गई है। उसकी सफलता कई अन्य छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है, जो संसाधनों की कमी के बावजूद अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।