सिटी पोस्ट लाइव :बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती के अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है.आकाश आनंद मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे हैं. आकाश ने ब्रिटेन से एमबीए की पढ़ाई पूरी की है.साल 2019 में पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक बनाए जाने के बाद से ही आकाश आनंद को बीएसपी सुप्रीमो के उत्तराधिकारी के तौर पर तैयार किया जाने लगा था.उन्हें जो सबसे पहली अहम ज़िम्मेदारी दी गई, वो थी उत्तर प्रदेश के युवाओं के बीच पहुँच बढ़ाना. उन्हें ख़ासतौर पर दलित समुदाय के युवाओं के बीच जाना था, जो कि साल 2014 में भारतीय जनता पार्टी की केंद्र में सरकार आने के बाद से ही बीएसपी से छिटकता जा रहा है.
आकाश आनंद पहले से ही यूपी और उत्तराखंड के अलावा भी सभी राज्यों में पार्टी के सभी बड़े मामलों को संभालते आए हैं.”आकाश आनंद को अलग-अलग राज्यों में पार्टी संगठन को मज़बूत करने की ज़िम्मेदारी मिली है.”हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में भी आकाश आनंद छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश और मिज़ोरम में पार्टी का चुनावी अभियान संभाल रहे थे. हालांकि, वह हवा का रुख़ बीएसपी के पक्ष में मोड़ने में असफल रहे. एक समय पर बीएसपी को राष्ट्रीय राजनीति में बीजेपी और कांग्रेस के विकल्प के तौर पर देखा जाता था.
“मायावती एक ऐसे आंदोलन से उभरीं जिसने दलितों को उनके मतदान की ताक़त के बारे में जागरूक किया. पिछले एक दशक में जातीय गठबंधन बनाने की बसपा की ताक़त फीकी पड़ गई है. अगर मायावती पार्टी के गिरते जनाधार को रोक नहीं पाईं, तो ये आकाश आनंद के लिए बहुत बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि वह ज़मीनी नेता नहीं हैं.”आकाश आनंद जैसे राजनीतिक उत्तराधिकारियों के सामने समस्या यह है कि उनके मूल वोट बेस का एक बड़ा हिस्सा उन्हें ‘अभिजात वर्ग’ मानता है, जिससे उनके लिए राजनीति में बड़ी ऊंचाई हासिल करना मुश्किल हो जाता है.
साल 2007 में उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में से 206 पर जीत हासिल कर के सरकार बनाने वाली बीएसपी का अब केवल एक विधायक है.पार्टी ने अपना करीब 60 फ़ीसदी वोट बेस खो दिया है. साल 2007 के चुनाव में पार्टी को 30.43 फ़ीसदी वोट मिले थे, जबकि 2022 के विधानसभा चुनाव में ये घटकर 12.88 फ़ीसदी रह गया.
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