सिटी पोस्ट लाइव : नीतीश सरकार के विश्वासमत से पहले बिहार कांग्रेस ने अपने विधायकों को टूटने से तो बचा लिया लेकिन अब उसके विधायक हाथ से निकलते जा रहे हैं. लोकसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस के दो विधायक बीजेपी में शामिल हो चुके हैं.सूत्रों के अनुसार अभी भी कई विधायक कतार शामिल हैं. ये सभी विधायक अपने लिए राजनीतिक भविष्य की गारंटी में कांग्रेस का मोह छोड़ चुके हैं, बस उन्हें उचित मौके की तलाश है. एक मौका नीतीश सरकार के विश्वासमत के दौरान भी आया था.
पिछले 27 जनवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर भाजपा के साथ हो लिए. उसके बाद तो महागठबंधन ने ‘खेला’ का दावा शुरू कर दिया था.12 फरवरी को विश्वासमत के दिन भाजपा-जदयू को अपने विधायकों को एकजुट करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी लेकिन राजद को उसके तीन विधायकों चेतन आनंद, प्रह्लाद यादव और नीलम देवी ने अंत में दगा दे दिया और सत्ता पक्ष के साथ जा बैठे. यह उस वक्त हुआ जब अपने 19 विधायकों को एकजुट रहने का हवाला देते हुए कांग्रेस नेताओं का कॉन्फ़िडेंस सातवें आसमान पर था. हालांकि सत्तारूढ़ एनडीए ने तब भी कहा था कि अभी तो खेल की शुरुआत हुई है.
अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित चेनारी सीट के विधायक मुरारी गौतम तो राजी-खुशी से हैदराबाद तक गए थे. तब जिन विधायकों के टूटने की जोरो शोर से चर्चा थी उसमें मुरारी का नाम तक नहीं था. यहां तक कि पिछले 15-16 फरवरी को राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान औरंगाबाद से लेकर कैमूर तक अपनी सक्रियता से उन्होंने किसी को महसूस तक नहीं होने दिया था लेकिन अचानक वो पाला बदलकर चलते बने.
टिकारी की किसान पंचायत में राहुल गांधी के साथ मंच पर मीरा कुमार की उपस्थिति सासाराम से एक बार फिर उनके प्रत्याशी बनने का संकेत दे रही थी. मुरारी का दिल इसी कारण टूटा है. वो लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए हैं. मोहनियां विधानसभा क्षेत्र की तरह सासाराम लोकसभा क्षेत्र भी सुरक्षित है. मुरारी का मानना था कि मीरा अगर फिर से लड़ सकती हैं तो मुरारी गौतम क्यों नही लड़ सकते.