सिटी पोस्ट लाइव : जीतन राम मांझी के बेटे के नीतीश मंत्रिमंडल से इस्तीफे के बाद से बिहार में सियासी घमासान जारी है. सीएम नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी के महागठबंधन से अलग होने को लेकर पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि मांझी बीजेपी के लिए खुफियागिरी करते थे. उन्होंने मांझी के अलग होने के निर्णय को अच्छा बताते हुए कहा कि मांझी भाजपा को खबर देते थे.जीतनराम मांझी के महागठबंधन से अलग होने को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि वे बीजेपी से मिले हुए थे. अगर साथ रहते तो विपक्षी दलों की होने जा रही बैठक की बातें बीजेपी तक तक पहुंचा देते.
नीतीश कुमार ने कहा कि उन्हें मांझी के बीजेपी के करीब जाने की जानकारी थी. उन्होंने खुद मांझी के सामने उनकी पार्टी का JDU में विलय करने या अलग होने की पेशकश की थी. मांझी ने अलग होने का फैसला किया.गौरतलब है कि हाल ही में जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन ने सीएम नीतीश के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था. इसके साथ ही बिहार की सियासत में घमासान मच गया था.लेकिन महागठबंधन में शामिल माले के नेता दीपांकर भट्टाचार्य ने छोटे दलों पर विलय के लिए दबाव बनाए जाने को गालात करार दिया है.
संतोष सुमन के विधान परिषद की सदस्यता छह मई 2024 तक है. ऐसे में नीतीश कुमार से बगावत करने के बाद भी संतोष सुमन 11 महीने तक विधान पार्षद बने रहेंगे. सुमन विधानसभा कोटे से विधान परिषद के सदस्य हैं. इस हिसाब से सुमन की सदस्यता पर भी कोई खतरा नहीं है.नीतीश कुमार ने मांझी की जगह अपनी पार्टी के दलित विद्याका रत्नेश सदा को मंत्री बनाकर मांझी को जबाब देने की कोशिश की है. राजभवन के दरबार हाल में आज शुक्रवार को राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर ने जदयू विधायक रत्नेश सदा को मंत्री पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. दलित समाज से आने वाले रत्नेश सदा सहरसा जिले के सोनबरसा से जदयू विधायक हैं.
मंत्री बनने के पहले हाल ही में रत्नेश सदा ने मीडिया से बातचीत के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को शेर की खाल ओढ़े भेड़िया बताया था.यह भी कहा था कि मांझी ने मुसहर समाज के लिए कोई काम नहीं किया. ऐसी कोई लकीर भी नहीं खींची, जिसे याद किया जाए.अब ये देखना दिलचस्प होगा कि रत्नेश सदा मांझी की कमी की भरपाई किस हदतक कर पाते हैं क्योंकि मांझी को सीएम बनाकर नीतीश कुमार उनका राजनीतिक कद पहुत बढ़ा चुके हैं.