‘लवगुरु मटुकनाथ’ को आज भी है जूली का इंतज़ार.
परिवार ने घर से धक्का मारकर निकाला, चला रहे हैं स्कूल, अभी भी है प्रेमिका जुली का इंतज़ार.
सिटी पोस्ट लाइव : लव गुरु मटुकनाथ मटुकनाथ को आज भी जुली का इंतज़ार है. जूली मटुक के जीवन से 23 अगस्त 2014 में ही निकल गईं. मटुकनाथ बिना प्यार के जिंदा नहीं रह सकते.उनका कहना है कि जब तक सांस है तब तक प्यार है. पत्नी और बच्चो ने उन्हें घर से निकाल दिया है.मटुक कहते हैं कि जूली की याद कभी आती है तो आनंदित हो जाते हैं. भगवान से प्रार्थना करते हैं कि जुली प्रसन्न रहे. अगर जूली दोबारा मेरे पास आ जाए तो फिर से मटुकनाथ के जीवन में महोत्सव शुरू हो जाएगा. मटुकनाथ कहते हैं कि जूली और हम एक दूसरे से बेइंतहा प्यार करते थे. अब वह प्यार नहीं रहा, जूली वेस्टइंडीज में सेटल हो गई हैं.
जूली से प्यार होने के बाद मटुकनाथ के परिवार ने उन से नाता तोड़ लिया था. बिहार के प्रोफेसर मटुकनाथ चौधरी और जूली कुमारी की प्रेम कहानी बच्चे बच्चे की जुबान पर है. जब भी प्यार का जिक्र होता है तो उम्र और रिश्तों के बंधन से मुक्त होकर दोनों की प्यार की चर्चा जरूर होती है. यूं तो जूली मटुकनाथ की उम्र से आधी उनकी शिष्या थीं. लेकिन दोनों के बीच प्यार इस कदर परवान चढ़ा कि परिवार समाज सब कुछ होते हुए दोनों एक दूसरे के हो गए थे.
इस लव स्टोरी को 21वीं सदी की सबसे ‘बोल्ड’ लव-स्टोरी भी कहा जाता है. अब मटुकनाथ और जूली अलग हो गए हैं. अब मटुकनाथ अकेले अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं. प्रोफेसर मटुकनाथ का कहना है कि प्यार कोई बंधन नहीं कि किसी को बांधकर रखा जाए. मटुकनाथ कहते हैं कि जूली और हम एक दूसरे से बेइंतहा प्यार करते थे. अब वह प्यार नहीं रहा, जूली वेस्टइंडीज में सेटल हो गई हैं. साल 2014 में ही वह मुझे कर चली गईं थी. कभी-कभी फोन पर बातचीत हो जाती है.
जूली से प्यार होने के बाद मटुकनाथ के परिवार ने उन से नाता तोड़ लिया था. अब परिवार ने उन्हें अपनाने से इंकार कर दिया है. मटुकनाथ अकेले नवगछिया के कोरचक्का में अपने पैतृक आवास में अपनी जिंदगी काट रहे हैं और एक निजी स्कूल का चला रहे हैं. मटुकनाथ बिना प्यार के जिंदा नहीं रह सकते. जब तक सांस है तब तक प्यार है.
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