सिटी पोस्ट लाइव : मणिपुर में 30 साल के अंतराल के बाद शराबबंदी के कानून को ख़त्म किये जाने के बाद अब बिहार में भी शराबबंदी ख़त्म करने की मांग तेज होने लगी है. ‘सीआईएबीसी’ यानी मादक पेय विनिर्माता निकाय ने शनिवार को बिहार सरकार से शराब की बिक्री पर प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया है. कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज (सीआईएबीसी) ने यह भी कहा कि बिहार में शराबबंदी खत्म होने से वहां की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, खराब गुणवत्ता वाली शराब का गैरकानूनी व्यापार खत्म होगा और जहरीली शराब की त्रासदियों को रोका जा सकेगा.
बिहार अवैध और नकली शराब के प्रसार, जहरीली शराब की घटनाओं, अपराध सिंडिकेट के बढ़ने और वैध सरकारी राजस्व के नुकसान के रूप में शराबबंदी नीति की भारी कीमत चुका रहा है.सीआईएबीसी के महानिदेशक विनोद गिरी ने कहा कि मणिपुर सरकार ने एक सकारात्मक कदम उठाया है और इससे राज्य को 600-700 करोड़ रुपये का वार्षिक कर राजस्व अर्जित करने और अवैध शराब की बिक्री के खतरे से निपटने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा, ‘बिहार सरकार को भी इसका पालन करना चाहिए और शराबबंदी हटानी चाहिए.
विनोद गिरी ने कहा कि शराब फैक्टरियां अपने कर्मचारियों में से 50 प्रतिशत महिलाओं को रखेंगी, जिससे महिलाओं का वास्तविक आर्थिक सशक्तिकरण होगा. शराब मुक्ति और पुनर्वास केंद्रों को वित्तपोषित करने के लिए शराब की बिक्री पर एक विशेष उपकर भी लगाया जा सकता है.गौरतलब है कि मणिपुर सरकार ने 30 से अधिक वर्षों के प्रतिबंध के बाद सात दिसंबर को राज्य में शराब की बिक्री और खपत को वैध कर दिया था.
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