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शिक्षा विभाग बनाम बीपीएससी, दोनों के बीच हुआ लेटर वॉर.

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सिटी पोस्ट लाइव :  शिक्षा विभाग और बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) के बीच का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा.शिक्षा विभाग ने शनिवार को आयोग को कड़ी आपत्ति के साथ पत्र लिखकर उसकी स्वायत्तता पर सवाल खड़ा किया और आयोग के लिखे जवाबी पत्र को भी लौटा दिया, बल्कि मुख्य सचिव द्वारा शिक्षकों को प्रमाण पत्रों के सत्यापन कार्य से मुक्त रखने संबंधी निर्देश का हवाला देते हुए आयोग को नसीहत भी दे डाली.

शिक्षा विभाग ने पत्र के माध्यम से आयोग से कई सवाल पूछे हैं और आयोग द्वारा जारी पत्र को बचकाना व मूर्खतापूर्ण हरकत बताया है. इसके साथ ही आयोग से पूछा है शिक्षक नियुक्ति परीक्षा का परिणाम से पहले प्रमाण पत्रों के सत्यापन क्यों?शिक्षा विभाग के निदेशक (माध्यमिक) कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने शनिवार को अपने पत्र में आयोग से पूछा है कि इसके पहले कौन-कौन सी लिखित परीक्षा का परिणाम घोषित करने के पहले उसमें शामिल अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन किया गया है.

शिक्षा विभाग ने यह पत्र आयोग के सचिव को भेजा है. अपने पत्र में शिक्षा विभाग ने आयोग से कहा है कि स्वायत्तता का अर्थ यह नहीं है कि आयोग कोई भी मूर्खतापूर्ण और विवेकहीन परंपरा स्थापित करे, जिससे शिक्षक नियुक्ति को लेकर बाद में सरकार के सामने वैधानिक अड़चन आए.शिक्षा विभाग ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि आयोग अपनी स्वायत्ता के नाम पर विवेकहीन और मूर्खतापूर्ण निर्णय नहीं ले सकता है और स्थापित परंपराओं से इतर नहीं जा सकता है.शिक्षकों की नियुक्ति के संबंध में प्रशासी विभाग शिक्षा विभाग है और संबंधित नियमावली में कई जगह लिखा है कि परीक्षा की विभिन्न पहलुओं पर प्रशासी विभाग से चर्चा कर ही कार्य किया जाएगा.

शिक्षा विभाग ने अपने पत्र में आयोग से यह भी कहा कि जब मुख्य सचिव के छह सितंबर के पत्र से स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो गई थी, तो पुन: आयोग द्वारा शिक्षा विभाग को पत्र भेजना अनावश्यक और बचकानी हरकत है. इसलिए इस पत्र को मूल रूप से लौटाया जाता है.बिहार लोक सेवा आयोग ने अपने पत्र में शिक्षा विभाग से कहा था कि आयोग शिक्षा विभाग या राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन नहीं है, के जवाब में शिक्षा विभाग ने आयोग से कहा है कि ऑटोनोमी (स्वायत्ता) का अर्थ अनार्की नहीं है.

शिक्षा विभाग ने अपने पत्र में आग्रह शब्द का भी इस्तेमाल करते हुए कहा है कि पुन: आग्रह किया जा रहा है कि जहां तक शिक्षकों की भर्ती का प्रश्न है तो आयोग को जब भी स्थापित परंपराओं से हट कर कोई कार्य करना है, तो पहले एक औपचारिक बैठक आयोग के स्तर पर की जानी चाहिए थी, इसमें शिक्षा विभाग, विधि विभाग और सामान्य प्रशासन विभाग से भी चर्चा की जानी चाहिए.

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